पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधा का वैज्ञानिक या औषधीय नाम Berberis Vulgaris Linnious है।
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विभिन्न भाषाओ में इस वनस्पति का प्रचलित नाम - इस पौधे को हिंदी में वेदाना, झरेक, और पंजाबी में चाचर, उर्दू में अम्बर अरबी, अम्बर वेरिस के नाम से जाना जाता है।
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वंश - यह वनस्पति Berberidaneae कुल का सदस्य है इस कुल में इसकी जातियों की संख्या लगभग 450 है भारत में इसे दारु हल्दी वर्ग की वनस्पति माना जाता है।
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निवास - यह वनस्पति यूरोप के पहाड़ी क्षेत्रों का मूल निवासी है। यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका में पायी जाती है। भारत में इसकी जातिया कश्मीर से लेकर नेपाल तक 12000 फिट की उचाई पर पाया जाता है।
पौधा का वर्णन - यह एक घनी झाड़ीदार वनस्पति है इसकी जड़े लतरदार होती है यह बहुशाखीय होता है इसकी भूरे रंग की डण्ठले पतली होती है इसकी पत्तिया अंडाकार दंतुर चर्मिली और चमकीली होती है। इसके पत्र वृन्त छोटे होते है डंठल पर पत्तिया या तो एकान्तर होती है या गुच्छों की समूह में लगती है। पत्तियों पर तिष्ण काँटे होते है। इसके फूलो का रंग पीला होता है जिनमे 6 परिदल और 6 पुष्प दल होते है फूल हल्के गुच्छो में लगते है। फूल के गुच्छो में कसावट का अभाव रहता है। इसके फलो के रंग शराबी ललाई लिए हुए रस दार होते है। इसके रसदार फलो में 2 से 3 की संख्या में कड़े बीज होते है इसके पौधे जंगलो,रास्तो, और पहाडी क्षेत्रों में अनायास उगते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्य के लिए इस वनस्पति की जड़ो की छाल डंठलों की छाल, पत्तिया और फल व्यवहार किये जाते है। जड़ो की छाल और प्रौढ़ पत्तिया का संकलन औषधीय उपयोग हेतु प्रौढ़ पौधे से किसी भी ऋतू में किया जा सकता है। परन्तु फलो का संकलन वसंत ऋतू में किया जाता है।
वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - इस वनस्पति की जड़ की छाल में Oxyacanthine, Resin, Tannin, Essential oil, और Enzymes और इसकी पत्तियों में बरवैरिन, Citric acid, Malic acid, और एंजाइम, तथा फलो में Dextrose, Fructose, Levulose, Pectose, Gum, Pectin, साइट्रिक अम्ल, मैलिक अम्ल, टारटरिक अम्ल, और एंजाइम पाए जाते है। इसके फलो में टैनिन, कार्बोहाइड्रेट्स, कार्बनिक अम्ल, मैग्नीज, पेक्टिक पदार्थ,और विटामिन सी पाए जाते है।
रासायनिक पदार्थो के गुड़, धर्म और शारीरिक क्रियाऐ - इस वनस्पति की जड़ की छालों से प्राप्त रासायनिक पदार्थ आमाशय और ऑतो की क्रियाओ को बढाने वाले होते है। पित्त श्रावक और पित्त प्रवाहक होते है यकृत की पित्त प्रणाली पर प्रक्रिया प्रभाव रखते है।
मष्तिष्क या स्नायू सम्बंधित सभी रोगो में, लकवा (Haemiplegia), संधिवात, और आधाशीशी दर्द में लाभदायक है इसके रसायन Herpiees में भी आरोग्यता प्रदान करते है।
वनस्पति के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति का काढ़ा, टिंक्चर और तरल तत्व, सीरप, चूर्ण आदि कई रूपों में उपयोग किया जाता है।
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