पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस वनस्पति का वैज्ञानिक नाम Betula Alba Roth है।
वंश - यह वनस्पति Betulaceae कुल का सदस्य है इस कुल मे इसकी 50 प्रजातियां पायी जाती है।
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विभिन्न भाषाओ में इस पौधे का नाम - इस पौधे को हिंदी में भोजपत्र, भुजपत्र, संस्कृत में भूर्जपत्र, भुर्ज, बहुल बल्कल बिन्दुपत्र, भुतन्ध, गुजराती में भोजपत्र, मराठी में धूर्ज पत्र, बंगला में भुच्चीपत्र, गढ़बाल-भुज, पंजाबी में भुज के नाम से जाना जाता है।
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वंश - यह वनस्पति Betulaceae कुल का सदस्य है इस कुल मे इसकी 50 प्रजातियां पायी जाती है।
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निवास - यह वनस्पति यूरोप, ग्रीनलैंड, उत्तरी पश्चिमी भूमध्य एशिया की कंकड़ीली, पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों का आदिवासी है। कही कही इसकी खेती भी की जाती है।
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वनस्पति का वर्णन - यह पतझड़ी और अल्पायु लेकिन काफी उचाई तक फ़ैलाने वाला बड़ा वृक्ष है। इसकी उचाई लगभग 100 फिट तक होती है। इसके धड़ का व्यास लगभग 28 इंच तक होता है इसकी छाल चिकनी हल्की और पीलापन लिए हुए भूरी उजली होती है। छाल उजली होने के कारण इसका नाम संभवतः अंग्रेजी में Silver Brich कहा जाता है। इसके तने की छाल नक्कासी लिए हुए पतले कागज़ की तरह परत दर परत तना से अलग होती है जिन डालियो पर इसकी कालिया लगाती है वे मस्सेदार पतली व् लम्बी होती है। इन डालियो में कालिया अन्तस्थ पर होती है इनकी पत्तिया झड़ने वाली अस्थायी होती है। डालियो पर पत्तिया एकान्तर और जुगल रूप में लगती है पत्तियों का आकार आयताकार विषम कोण समभुज क्षेत्र के सदृस्य तिष्ण और दाँतेदार होते है। पत्तियों की दन्तुरे छोटी छोटी होती है पत्तियों के रंग ऊपर के वनस्पति अंदर की ओर हलके होते है पत्तियों के वृन्त लम्भ होते है। इसके फूल पतली डालियो पर लगते है इसके फल एक बीजीय होते है प्रत्येक फल के वृन्त के साथ एक जोड़ी कोमल पत्तिया भी पंख की तरह लगी हुयी होती है।
औषधीय कार्य हेतु वनस्पति का उपयोगित अंग - औषधीय कार्य के लिए इस वृक्ष की पत्तिया, कालिया, फलो के रस तथा परिपक्व शाखाओ या धड़ की छाल व्यवहार की जाती है इसका संग्रह पत्तियों के प्रौढ़ होने पर कालिया निकलने पर और फलो का संग्रह पकने के पूर्व किया जाता है। शाखाओ की छाल का संग्रह किसी भी ऋतू में किया जाता है छाल का संग्रह प्रौढ़ वृक्ष से की जाती है।
वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - इस वनस्पति की छाल में Betulin, Resin, Betula camphor, Buds, Sugar, Betulorentic acid, Tannin, Essence, पाए जाते है।
रासायनिक पदार्थो के गुण, धर्म और शारीरिक क्रियाये - इस वनस्पति की छाल से प्राप्त रासायन पदार्थ Diuretic और Laxative होते है कलियों से प्राप्त रसायन प्रदाह नासक और घावों को भरने वाले तथा पत्तियों से प्राप्त रसायन प्रदाह शामक और सूजन को काम करने वाले तथा रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियमित करने वाले (Hypochlolesterolic) होते है।
इसकी पत्तियों और छाल का रस सर के बालो की ग्रंथियों पर केश वर्द्धक गुण रखती है इसके रसायन कुष्ट रोग नासक और कर्णशूल तथा कान बहने के रोगो में अति लाभकारी होते है।
वनस्पति के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति का उपयोग काढ़ा, infusion चूर्ण, रस टिंक्चर आदि कई रूपों में प्रचलित है।
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