पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधा का वैज्ञानिक या औषधीय नाम Cannabis Sativa Linnious है।
Pic credit - Google/https://fr.wikipedia.org |
विभिन्न भाषाओ में इस पौधे का प्रचलित नाम - इस पौधे को हिंदी, बंगला तथा गुजराती भाषा में भांग, गाजा, और संस्कृत भाषा में भंग, विजया, अजया, मातुली, शिवप्रिया, जया, गंजीका, हर्षिणी,ज्ञानवल्लिका, उन्मत्तिनि, बीरपत्री, मादनी और लैटिन भाषा में भांग को Cannabis Sativa और गांजा को Cannabis Indica कहा जाता है।
वंश - यह Cannabinaceae वंश की बूटी है।
निवास - यह पौधा मध्य एशिया का मूल निवासी है यह संसार के उष्ण और समसीतोष्ण देशो में बहुतायत में पायी जाती है
पौधे का वर्णन - यह एकल प्ररूपी वंश है यह एक वर्षीय पौधा है जिसकी उचाई 1.2 से 4.8 मीटर तक होती है यह मुसला जड़ वाला पौधा है जिसमे छोटे छोटे अनेक जड़ शाखाएँ निकलती है इसका तना सीधा कोणीय धारीदार खोखला और काष्ठीय होता है इसकी निचली पत्तिया अभिमुख, सवृन्त होती है जबकि ऊपर की पत्तिया एकान्तर होती है। पत्तिया हथेली की आकार की सवृन्त, दाँतेदार और छोटी छोटी पत्तिया होती है पत्तियों का किनारा निम् की पत्तियों की सादृश दंतुर परन्तु लम्बी और कंगूरेदार होती है। प्रत्येक डंठल पर 5, 6, अथवा 7 पत्तिया होती है। यह एक लिंगीश्रायी और विरले ही उभयलिंगकायी होता है। इस औषधीय के पौधे अलग अलग नर और मादा दो प्रकार के होते है। नर पौधे के फूल हरापन लिए हुए गुच्छे में होते है और मादा पौधे के फूल भी हरिताभ ही होते है। नर पौधे के फूल लम्बा क्लांतिनत पुष्प गुच्छो में तथा मादा के फूल छोटे कक्षीय स्पाईको में और शाखा के शिखर पर अपेक्षाकृत अत्यधिक संख्या में होते है। इसके फल चिकने, अंडाकार और बीजो के रंग हरिताभ भूरा होता है। पौधा के समस्त अंग रूएदार छूने में चिपचिपा तथा एक विशेष प्रकार की गंध से युक्त होता है।
औषधीय कार्य हेतु पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्य हेतु पौधे का पुष्पित शाखाग्र व्यवहार किया जाता है। जिसका संकलन ग्रीष्म ऋतू के आरम्भ में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - भांग के पौधे से निकलने वाले रेजिनी श्राव को चरस कहा जाता है। Resin को Cannasinon भी कहा जाता है इसके आलावा Enzyme, Cannabinol, Cannabideol, Choline, Trigonelline, Acids, Essecet पाए जाते है।
रासायनिक पदार्थो के गुण, धर्म और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाये - इस पौधे प्राप्त रसायन तंत्रिका तंत्र की क्रियाओ को सिथिल करते है। इसका प्रभाव नारकोटिक होता है इस पौधे की पुष्पित शाखाग्र सेके चूर्ण सेके अनुपान से गुर्दे की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। यह कुष्ट नाशक (Antileprotic), और कब्ज नाशक (Constipative) और भूख को बढ़ाने वाले होते है। यह टेटनस की महाऔषधीय है।
इसकी हलकी मात्रा अमृत के सामान है और इसकी बड़ी मात्रा भयंकर हानि पहुँचाती है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्य के लिए इस पौधे का टिंक्चर,चूर्ण,infujion, तरल, सिरप, आदि कई रूपों में किया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें