पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधा का वैज्ञानिक या औषधीय नाम Capsella Bursa "Linnious" (Medik) है।
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विभिन्न भाषाओ में प्रचलित नाम - हिंदी में इसे कैप्सेला कहा जाता है, आग्ल भाषा में इसे Shepherd's Purse, चीन में इसे Herba Bursa Postoris कहते है। लैटिन भाषा में Capsella Bursa Pastoris या Thalaspi Bursa Postoris Linnious के नाम से यह अपतृण (Grass) जाता है। भारतीय चिकित्सा ग्रंथो में इसकी चर्चा उपलब्ध नहीं है।
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वंश - इस पौधे को क्रूसीफेरी (Cruciferae) वंश का सदस्य है जबकि वर्तमान दशक में प्रकाशित ग्रन्थ Compendium of Indian Medicinal Plant Vol. 1 & 2, Page No 76 & 138,(Rastogi and Mehrotra, P.I.D.,New Delhi 1999) पर इस पौधे को Brassicaceae वंश का सदस्य बताया गया है।
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निवास - यह एक प्रकार की घास है जो भारत की सभी शीतोष्ण प्रदेशो में कृषि योग्य भू भागो में पायी जाती है। यह यूरोप, चीन, और उत्तरी अमेरिका में भी पाया जाता है। जबकी यह उत्तरी यूरोप का मूल निवासी है। उत्तर पश्चिम हिमालय में यह विशेष रूप से पायी जाती है।
पौधा का वर्णन - इस पौधे का जातीय नाम (Generic Name) कैप्सेला ( Capsella) शब्द से लिया गया है। यह एक वर्षीय या द्रिवर्षीय पौधा है इसका पौधा जमींन पर सीधा खड़ा रहता है जिसकी उचाई लगभग 18 इंच होती है। इसकी पत्तिया त्रिभुजाकार होती है जो परिपक्व डालियो के आधार पर लगती है। इसकी जड़े मूसलादार होती है इसकी निचे वाली पत्तिया परदार और भालाकार होती है और ऊपर वाली पत्तिया खोखली या पोली नोकदार होती है। पत्तियों के आकार पत्रवृन्त के विपरीत त्रिभुजाकार होती है इसके फूलों में चार अदद पंखुडिया होती है फूल गुच्छो में होते है। इसके फूलों का रंग उजला और इसके फलो का आकार त्रिभुजाकार होता है अनेक अंडाकार बीज होते है।
औषधीय कार्य हेतु पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्य हेतु सम्पूर्ण पौधा (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) का उपयोग किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - इस पौधे के सभी अंगो में Choline, Acetylecholine, Fumaric acid, Tartaric acid, Malic acid, Citric acid, Spartenine,Sulphur compounds,Tannin, Saponin,Potassium,Enzymes,Diosmine, Lyramine,Wax,नई हरी पत्तियों में Vitamin C, (Scorbic acid)350 से 550 mg /100grm में पाया जाता है।
रासायनिक पदार्थो के गुण, धर्म और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो सभी प्रकार के रक्त श्रावो को रोकने की अपार छमता है। खुली घावों पर भी इसके टिंक्चर से भिगोई हुई पट्टी करने से बहता हुवा रक्त बंद हो जाता है बसर्ते घाव ज्यादा गहरा ना हो। इस पौधे में पाया जाने वाला एसीटेलकोलिन उच्च रक्त चाप को कम करता है इसकी स्थूल मात्रा रक्त चाप को सामान्य से भी कम कर देता है।
इस पौधे के गुण, धर्म रक्त श्राव को रोकने वाला (Haemostatic), मासिक श्राव को सामान्य करने वाला (Emmenagogic), रक्त चाप को कम करने वाला (Hypotensive), और घावों को भरने वाले होते है। शरीर के अंदर कही भी रक्त संचयन (Blood or fluid congestion) को इसके टिंक्चर का बाहरी-स्थानीय व्यवहार हटाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - इस पौधे का औषधीय कार्य के लिए तरल, टिंक्चर, चूर्ण, आदि िरयोग किये जाते है।
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