Humulus Lupulus (Hop) – एक महत्वपूर्ण औषधीय लता का परिचय

पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Humulus Luplus Linnious है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - आंग्ल भाषा में इसका सामान्य नाम (common name) Hop कहा गया है। भार्गव स्टैण्डर्ड इल्यूस्ट्रेटेड डिक्सनरी ऑफ़ द इंग्लिश लैंग्वेज के पृष्ठ 380 पर Hop के सम्बन्ध में कहा गया है की यह एक प्रकार की बारह मासी लता है। अन्य भाषाओ में इसके प्रचलित नाम अनुपलब्ध है।
वंश - इसे कैनाबैसी (cannabaceae) कुल का औषधीय वनस्पति बताया गया है। भारतीय मतानुसार इसको मोरैसी (moraceae) परिवार का सदस्य मानते है।
निवास - यह उत्तरी अमेरिका का मूल निवासी है। यह उत्तरी यूरोप और उत्तरी एशिया का भी वासी है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी उपज झाड़ी की तरह बेकार धरती पर होती है। भारत में उत्तरी पश्चिमी हिमालय में प्रचुर मात्रा में इसकी खेती की जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक बारहमासी, सदाहरित, लतरदार, आरोही औषधीय बूटी है। इसकी जड़े मोटी और मांसल होती है ये जड़ो के सहारे काफी लम्बी होती है। इस आरोही बूटी की शाखाये आपस में एक दूसरे से गुथकर स्वयं सहारा पाने लायक बन जाती है। जैसा की सेम की लताओं में हम पाते है। इसके तना की लम्बवत समकोण कटान चतुष्कोण (qudrangular) होती है। इसकी पत्तिया हथेली की आकार की फूली हुई होती है। इसकी शाखाओ पर रोमिल पत्रवृन्त के सहारे पत्तिया अभिमुख (opposite) या एकान्तर (alternate) रूप से लगती है। पत्तिया पांच खंडो में रहती है। जिसका फैला हुआ किनारा दंतुर और नुकीला होता है। शाखाग्र के अन्तस्थ पर (terminal of branches), नर फूलो की संख्या अत्याधिक समूह में रहते है। नर फूलो में बाह्य दलपुंज का आभाव रहता है। इसके पुष्प दलों में 5 अदद पंखुडिया,5 अदद पुंकेशर के साथ रहती है। मादा फूल एक साथ इकट्ठे मंजरी (catkins) रूप में निचे की ओर लटकते रहते है। मादा पुष्प की मंजरिया छोटे शंक्वाकाऱ आकृति में होती है। मादा फूल कभी कभी अकेले और कभी समूह में शाखाग्र पर लगते है। इसके फलो में गोल धूसर (gray) रंग के बीज होते है। इसके फल पूर्ण विकसित सहपत्रिया (bracts) से ढके होते है। फल के निचे स्थित पूर्ण विकसित सहपत्रियो के आस पास रेजिन रिसाने वाली अनेक ग्रंथिया होती है। इन ग्रंथियों से रेजिन के साथ साथ एक पिले रंग के पदार्थ का भी रिसाव होता है। जो औषधीय कार्यो के लिए अति महत्वपूर्ण होते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस लता के मादा फूलो के सहित शाखाग्र उपयोग किया जाता है। इसका संकलन ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस औषधीय लता के मादा फूलो और शाखाग्र में इथेरियल आयल (etherial oil) इसमें (myrcene और humuline) नाम के एल्केलाइड रहते है। इसके अलावा enzymes, myrcenol, linaliil, tannin,resin, lupulin,essential oil, lupulon, xanthohomol, humulon, cerotic acid, some biter substances, आदि पाए जाते है। इस वनस्पति के टिंक्चर के क्रोमैटोग्राफी में माध्यम से leucocyanidin, leucodelphinidin की भी पहचान की गयी है। इस वनस्पति के बीजो से प्राप्त तेलों से humuladienone, humulenone, और अल्फ़ा-कोरोकैलिन तथा गामा-कैलोकोरिन पृथक किये गए है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ निद्रल (hypnotic), अवसादक (sedative), पाचक, ज्वरनाशक,स्वेदक आदि क्रियाये प्रकट करते है। इस वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थ उच्कोटि के बैक्टीरिया रोधी होते है। इसके रसायन शरीर के तापमान को सामान्य से अधिक बढ़ने या घटने की क्रिया को रोकते है। इसके रसायन नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं के मध्य वाली जैविक क्रियाओ को रोककर या बढ़ा कर स्नायु तंतुओ की क्रियाओ को सामान्य करती है। इसमें पाए जाने वाले रसायन ल्युपुलिन (lupuline), रेजिन के सम्बन्ध में शोध कार्यो से पता चला है की दूध के रिसाव को बढ़ाने वाले हार्मोन के रिसाव पर इसका बड़ा ही सक्रीय प्रभाव है। इसलिए दूध पिलाने वाली महिलाओ को ल्युपुलिन और रेजिन को गोली रूप में सेवन कराकर धातृओ के दूध रिसाव को बढ़ाया जा सकता है। दूध की रिसाव अधिक होने की दशा में महिलाओ में गर्भाधान होने की संभावना लगभग 80 प्रतिशत कम हो जाती है। इस प्रकार परिवार नियोजन के लिए यह एक अच्छा माध्यम और अवसर प्रदान करता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस औषधीय बूटी के मादा फूलो सहित शाखाग्र का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), मल्हम, गोली, चूर्ण आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - आंग्ल भाषा में इसका सामान्य नाम (common name) Hop कहा गया है। भार्गव स्टैण्डर्ड इल्यूस्ट्रेटेड डिक्सनरी ऑफ़ द इंग्लिश लैंग्वेज के पृष्ठ 380 पर Hop के सम्बन्ध में कहा गया है की यह एक प्रकार की बारह मासी लता है। अन्य भाषाओ में इसके प्रचलित नाम अनुपलब्ध है।
वंश - इसे कैनाबैसी (cannabaceae) कुल का औषधीय वनस्पति बताया गया है। भारतीय मतानुसार इसको मोरैसी (moraceae) परिवार का सदस्य मानते है।
निवास - यह उत्तरी अमेरिका का मूल निवासी है। यह उत्तरी यूरोप और उत्तरी एशिया का भी वासी है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी उपज झाड़ी की तरह बेकार धरती पर होती है। भारत में उत्तरी पश्चिमी हिमालय में प्रचुर मात्रा में इसकी खेती की जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक बारहमासी, सदाहरित, लतरदार, आरोही औषधीय बूटी है। इसकी जड़े मोटी और मांसल होती है ये जड़ो के सहारे काफी लम्बी होती है। इस आरोही बूटी की शाखाये आपस में एक दूसरे से गुथकर स्वयं सहारा पाने लायक बन जाती है। जैसा की सेम की लताओं में हम पाते है। इसके तना की लम्बवत समकोण कटान चतुष्कोण (qudrangular) होती है। इसकी पत्तिया हथेली की आकार की फूली हुई होती है। इसकी शाखाओ पर रोमिल पत्रवृन्त के सहारे पत्तिया अभिमुख (opposite) या एकान्तर (alternate) रूप से लगती है। पत्तिया पांच खंडो में रहती है। जिसका फैला हुआ किनारा दंतुर और नुकीला होता है। शाखाग्र के अन्तस्थ पर (terminal of branches), नर फूलो की संख्या अत्याधिक समूह में रहते है। नर फूलो में बाह्य दलपुंज का आभाव रहता है। इसके पुष्प दलों में 5 अदद पंखुडिया,5 अदद पुंकेशर के साथ रहती है। मादा फूल एक साथ इकट्ठे मंजरी (catkins) रूप में निचे की ओर लटकते रहते है। मादा पुष्प की मंजरिया छोटे शंक्वाकाऱ आकृति में होती है। मादा फूल कभी कभी अकेले और कभी समूह में शाखाग्र पर लगते है। इसके फलो में गोल धूसर (gray) रंग के बीज होते है। इसके फल पूर्ण विकसित सहपत्रिया (bracts) से ढके होते है। फल के निचे स्थित पूर्ण विकसित सहपत्रियो के आस पास रेजिन रिसाने वाली अनेक ग्रंथिया होती है। इन ग्रंथियों से रेजिन के साथ साथ एक पिले रंग के पदार्थ का भी रिसाव होता है। जो औषधीय कार्यो के लिए अति महत्वपूर्ण होते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस लता के मादा फूलो के सहित शाखाग्र उपयोग किया जाता है। इसका संकलन ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस औषधीय लता के मादा फूलो और शाखाग्र में इथेरियल आयल (etherial oil) इसमें (myrcene और humuline) नाम के एल्केलाइड रहते है। इसके अलावा enzymes, myrcenol, linaliil, tannin,resin, lupulin,essential oil, lupulon, xanthohomol, humulon, cerotic acid, some biter substances, आदि पाए जाते है। इस वनस्पति के टिंक्चर के क्रोमैटोग्राफी में माध्यम से leucocyanidin, leucodelphinidin की भी पहचान की गयी है। इस वनस्पति के बीजो से प्राप्त तेलों से humuladienone, humulenone, और अल्फ़ा-कोरोकैलिन तथा गामा-कैलोकोरिन पृथक किये गए है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ निद्रल (hypnotic), अवसादक (sedative), पाचक, ज्वरनाशक,स्वेदक आदि क्रियाये प्रकट करते है। इस वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थ उच्कोटि के बैक्टीरिया रोधी होते है। इसके रसायन शरीर के तापमान को सामान्य से अधिक बढ़ने या घटने की क्रिया को रोकते है। इसके रसायन नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं के मध्य वाली जैविक क्रियाओ को रोककर या बढ़ा कर स्नायु तंतुओ की क्रियाओ को सामान्य करती है। इसमें पाए जाने वाले रसायन ल्युपुलिन (lupuline), रेजिन के सम्बन्ध में शोध कार्यो से पता चला है की दूध के रिसाव को बढ़ाने वाले हार्मोन के रिसाव पर इसका बड़ा ही सक्रीय प्रभाव है। इसलिए दूध पिलाने वाली महिलाओ को ल्युपुलिन और रेजिन को गोली रूप में सेवन कराकर धातृओ के दूध रिसाव को बढ़ाया जा सकता है। दूध की रिसाव अधिक होने की दशा में महिलाओ में गर्भाधान होने की संभावना लगभग 80 प्रतिशत कम हो जाती है। इस प्रकार परिवार नियोजन के लिए यह एक अच्छा माध्यम और अवसर प्रदान करता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस औषधीय बूटी के मादा फूलो सहित शाखाग्र का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), मल्हम, गोली, चूर्ण आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।