Hamamelis Virginiana linnious
Hamamelis Virginiana (Witch Hazel): त्वचा के लिए प्राकृतिक उपचार

Witch Hazel त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे जलन, सूजन और मुंहासों के इलाज के लिए एक प्रसिद्ध प्राकृतिक उपचार है। इसके अर्क का उपयोग टोनर, लोशन और मरहम में किया जाता है। यह त्वचा को शांत करने और सूजन को कम करने में प्रभावी होता है।
पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Hamamelis Virginiana Linnious है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - इस पौधे को हिन्दी भाषा में हैमामेलिस, और अंग्रेजी भाषा में Witch Hazel कहते है। witch का शाब्दिक अर्थ जादूगरनी और hazel का अर्थ जैतून की तरह का एक वृक्ष (tree of the oak family) होता है।
वंश - यह पौधा Hamamelidaceae कुल का सदस्य है। इस वंश में इसकी कुल 6 जातिया पाई जाती है।
निवास - यह पौधा उत्तरी अमेरिका का निवासी है। शीतोष्ण क्षेत्र के देशो में यह बहुतायत में पाई जाती है। यह वनस्पति पर्याप्त मात्रा में उत्तरी अमेरिका के साथ साथ कनाडा से फ्लोरिडा तथा नवेरास्का से टैक्सास तक में पायी जाती है। यूरोपीय देशो में इसके वृक्ष बाग बगीचों में शोभा के लिए बड़े शौक से लगाए जाते है। मध्य एशिया के शीतोष्ण क्षेत्र के देशो में भी इसके वृक्ष मुख्यतर पाए जाते है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक सदा हरित सीधा खड़ा रहने वाला वृक्ष है। इस वनस्पति की अंडाकार पत्तिया एकान्तर रूप में शाखाओ पर छोटे छोटे वृन्तो के साथ लगती है। पत्तिया अरोमिल और चिकनी होती है। शाखा निकलने के प्रत्येक स्थान पर मुख्य तना या डाली में भी एक पत्तिया अवश्य रहती है। इन पत्तियों के आकर गोल, आयताकार, विषम कोड चतुर्भुज की तरह होती है। पत्तियों की ऊपरी सतह पर शिराओ का कटान युक्त स्पष्ट चिन्ह रहता है। इन शिराओ का उभार पत्तियों की निचली सतह तक फैली रहती है। इनकी सहायक टहनियों से छोटी छोटी दो या तीन गुच्छेदार टहनी निकलती है। जिन पर समूह में फूल निकलते है। इसके फूलो के बाह्य दलपुंज (calyx) में 4 अदद अखुडिया और पुष्प दलपुंज (corolla) में 4 अदद पंखुडिया (petals) होती है। फूलो के दो अदद कुक्षि वृन्तो (styles) से 4 अदद पुंकेशर (stamens) लगे होते है। इसके फल डेहीसेन्ट (dehiscent) और काष्ठीय (woody) होते है। फलो के दो अदद काष्ठीय सम्पुटिका (capsule) में दो अदद चिकने गहरे रंग के बीज होते है। इनके वृक्षों की शाखाओ पर प्रायः जनवरी से अप्रैल के बिच फूल खिलते है। कभी कभी किसी किसी वृक्ष की टहनियों पर शरद ऋतु में भी फूल नजर आ जाते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। जिसका संकलन बसंत ऋतु में किया जाता है। किसी किसी पुस्तक के अनुसार औषधीय कार्यो के लिए इस वृक्ष की छाल भी व्यवहार करने का उल्लेख मिलता है। इसकी छाल बीच हेलेज छाल (witch hazel bark) या हेमामेलिस कार्टेक्स (hamamelis cortex) के नाम से विक्रय के लिए बाज़ारो में उपलब्ध रहती है। इन छालो का उपयोग क्वाथ या जलीय सत्व (fluid extract) के रूप में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वृक्ष की छालो और पत्तियों में टैनिन (tannin), एन्जाइम (enzymes), सेसक्वीटेरपेन्स (sesquiterpense), फेनॉल (phenal), कोलिन (cholin), सैपोनीन (saiponin), आदि रसायनिक पदार्थ पाए जाते है। इन रसायनो के अलावा इसमें गैलोटैनिक अम्ल (gallotanic acid), हैमामेलिटैनिन (hamamelitannin), गैलिक अम्ल (gallic acid) आदि भी पाया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ रक्तवाहिनियों (blood vessels) में संकोचन पैदा करती है। इस प्रकार की क्रियाओ के कारण इन रसायनो को वैसोकन्स्ट्रीक्टीव (vasoconstrictive) कहा जाता है। रक्त वाहिनियों पर आकुंचन प्रभाव के कारण रक्त श्राव को रोकने या बंद करने की इसके रसायनो में अकूत क्षमता है। इसी गुण, धर्म और क्रियाओ के कारण सभी प्रकार के रक्त श्राव, बवासीर, वेरिकोज वेन्स, आदि रक्त परिसंचरण सम्बंधित रोगो में यह उत्तम लाभकारी रसायन प्रमाणित होता है। इसकी स्थूल या अधिक मात्रा के अनुपान से रक्त चाप असामान्य रूप से बढ़ जाने की संभावना रहती है। असामान्य रूप से रक्तचाप बढ़ने के कारण सिरदर्द, चक्कर, वमन आदि की शिकायत हो सकती है। इस औषधीय का हमेशा हल्की खुराक अनुपान करनी चाहिए।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति की छाल और पत्तियों का इन्फ्यूजन, क्वाथ (Decoction), या काढ़ा, टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), चूर्ण, मल्हम आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
वंश - यह पौधा Hamamelidaceae कुल का सदस्य है। इस वंश में इसकी कुल 6 जातिया पाई जाती है।
निवास - यह पौधा उत्तरी अमेरिका का निवासी है। शीतोष्ण क्षेत्र के देशो में यह बहुतायत में पाई जाती है। यह वनस्पति पर्याप्त मात्रा में उत्तरी अमेरिका के साथ साथ कनाडा से फ्लोरिडा तथा नवेरास्का से टैक्सास तक में पायी जाती है। यूरोपीय देशो में इसके वृक्ष बाग बगीचों में शोभा के लिए बड़े शौक से लगाए जाते है। मध्य एशिया के शीतोष्ण क्षेत्र के देशो में भी इसके वृक्ष मुख्यतर पाए जाते है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक सदा हरित सीधा खड़ा रहने वाला वृक्ष है। इस वनस्पति की अंडाकार पत्तिया एकान्तर रूप में शाखाओ पर छोटे छोटे वृन्तो के साथ लगती है। पत्तिया अरोमिल और चिकनी होती है। शाखा निकलने के प्रत्येक स्थान पर मुख्य तना या डाली में भी एक पत्तिया अवश्य रहती है। इन पत्तियों के आकर गोल, आयताकार, विषम कोड चतुर्भुज की तरह होती है। पत्तियों की ऊपरी सतह पर शिराओ का कटान युक्त स्पष्ट चिन्ह रहता है। इन शिराओ का उभार पत्तियों की निचली सतह तक फैली रहती है। इनकी सहायक टहनियों से छोटी छोटी दो या तीन गुच्छेदार टहनी निकलती है। जिन पर समूह में फूल निकलते है। इसके फूलो के बाह्य दलपुंज (calyx) में 4 अदद अखुडिया और पुष्प दलपुंज (corolla) में 4 अदद पंखुडिया (petals) होती है। फूलो के दो अदद कुक्षि वृन्तो (styles) से 4 अदद पुंकेशर (stamens) लगे होते है। इसके फल डेहीसेन्ट (dehiscent) और काष्ठीय (woody) होते है। फलो के दो अदद काष्ठीय सम्पुटिका (capsule) में दो अदद चिकने गहरे रंग के बीज होते है। इनके वृक्षों की शाखाओ पर प्रायः जनवरी से अप्रैल के बिच फूल खिलते है। कभी कभी किसी किसी वृक्ष की टहनियों पर शरद ऋतु में भी फूल नजर आ जाते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। जिसका संकलन बसंत ऋतु में किया जाता है। किसी किसी पुस्तक के अनुसार औषधीय कार्यो के लिए इस वृक्ष की छाल भी व्यवहार करने का उल्लेख मिलता है। इसकी छाल बीच हेलेज छाल (witch hazel bark) या हेमामेलिस कार्टेक्स (hamamelis cortex) के नाम से विक्रय के लिए बाज़ारो में उपलब्ध रहती है। इन छालो का उपयोग क्वाथ या जलीय सत्व (fluid extract) के रूप में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वृक्ष की छालो और पत्तियों में टैनिन (tannin), एन्जाइम (enzymes), सेसक्वीटेरपेन्स (sesquiterpense), फेनॉल (phenal), कोलिन (cholin), सैपोनीन (saiponin), आदि रसायनिक पदार्थ पाए जाते है। इन रसायनो के अलावा इसमें गैलोटैनिक अम्ल (gallotanic acid), हैमामेलिटैनिन (hamamelitannin), गैलिक अम्ल (gallic acid) आदि भी पाया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ रक्तवाहिनियों (blood vessels) में संकोचन पैदा करती है। इस प्रकार की क्रियाओ के कारण इन रसायनो को वैसोकन्स्ट्रीक्टीव (vasoconstrictive) कहा जाता है। रक्त वाहिनियों पर आकुंचन प्रभाव के कारण रक्त श्राव को रोकने या बंद करने की इसके रसायनो में अकूत क्षमता है। इसी गुण, धर्म और क्रियाओ के कारण सभी प्रकार के रक्त श्राव, बवासीर, वेरिकोज वेन्स, आदि रक्त परिसंचरण सम्बंधित रोगो में यह उत्तम लाभकारी रसायन प्रमाणित होता है। इसकी स्थूल या अधिक मात्रा के अनुपान से रक्त चाप असामान्य रूप से बढ़ जाने की संभावना रहती है। असामान्य रूप से रक्तचाप बढ़ने के कारण सिरदर्द, चक्कर, वमन आदि की शिकायत हो सकती है। इस औषधीय का हमेशा हल्की खुराक अनुपान करनी चाहिए।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति की छाल और पत्तियों का इन्फ्यूजन, क्वाथ (Decoction), या काढ़ा, टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), चूर्ण, मल्हम आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।