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पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Imperatoria Ostruthium Linnious है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - इस पौधे को अंग्रेजी भाषा में सामान्य नाम Master wort और hog fennel है। अन्य भाषाओ में इस वनस्पति का नाम अनुपलब्ध है।
वंश - यह पौधा umbelliferae कुल का सदस्य है। इस कुल में इसकी लगभग 120 प्रजातियां पायी जाती है।
निवास - यह वनस्पति यूरोप के जंगलो में नमी वाले क्षेत्रों में नदी के किनारे कछारो और पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाती है। इसके टिंक्चर औषधीय उपयोग के लिए विदेशो से आयत किये जाते है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक बारहमासी चिकना, प्रकांड (stem), मोटा और काला प्रकंद (rhizome) वाला साधारण या बहुशाखीय औषधीय वनस्पति है। इसके प्रकांड सीधे, रोमिल (pubescent) खोखला (hollo) और छोटे छायेदार होते है। भारत में पाए जाने वाले सोया के पौधे की तरह होती है। इसकी उचाई लगभग एक मीटर तक होती है। इसकी सवृन्त एकान्तर पत्तिया तीन आयताकार खंडो वाली संयुक्त होती है। कभी कभी इनमे दंतुर छोटी पत्तिया भी पाई जाती है। जो पुनः छोटी छोटी पत्तियों में विभक्त रहती है। इसकी प्रकांड पत्तिया चौड़ी और यथेष्ट वृन्तो से युक्त होती है। इसके फूल छत्राकार रूप में 30 से 40 के समूह में लगते है। इसी प्रकार के फूल सौफ, सोआ,धनिया, अजवाइन आदि के पौधे पर भी लगते है। इसके फूलो के बाह्य दलपुंजों में 5 अदद दंतुर अंखुड़िया होती है। इसके पुष्प दलों का रंग उजला या गुलाबी होता है। जिनमे 5 अदद पंखुडिया होती है। फूल के पुष्प दलपुंज कुछ फूले हुए होते है। इसके फल अंडाकार रीढीदार (ribbed) या घुमावदार तथा पंखदार या शाखादार सतह वाले होते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति के प्रकंद (rhizomes) उपयोग किया जाता है। ए डिक्सनरी ऑफ़ प्लांट्स यूज्ड बाई मैन (लेखक - जार्ज ऊशर) नामक पुस्तक के पृष्ठ 317 और 451 पर कहा गया है की औषधीय कार्यो के लिए इसके सम्पूर्ण पौधे व्यवहार किये जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इसके प्रकंद में सुगन्धित (aromatic) कडुआ पदार्थ के आलावा imperatorine, ostruthine, ametine, नामक एल्केलायड, एंजाइम्स, ऑस्ट्रोल (ostrol), ostruthul, essence, tannin और कुछ विटामिन्स , स्टार्च आदि पाए जाते है। इस वनस्पति का इत्र के रूप में pinine, limonene, phellandrene तथा इथर (ethers) प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसके इस इत्र का उपयोग शराब सुगन्धित करने के लिए किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस वनस्पति के प्रकंदो से प्राप्त रसायनिक पदार्थ सुगन्धित और स्वाद में कडुआ होते है। इसके रसायन आमाशय और ऑतो की क्रिया बढ़ाने वाली (stomachic), कफोत्सारक (expectorant), स्वेदकारी (sudorific), अनुलोमक (carminetive) पाचक आदि क्रिया करने वाली होती है। इसके प्रकंदो में श्वास नली सम्बंधित रोगो में उपयोग किया जाता है। इसके इत्र का उपयोग दन्त दर्द के लिए किया जाता है। इसके टिंक्चर का बाह्य उपयोग त्वचा की उत्तेजनशीलता (irritation) को कम करने के लिए किया जाता है। इसका इन्फ्यूजन आधाशीशी दर्द (migraine) को दूर करने के लिए किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे की शाखाओं का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), चूर्ण आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
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