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गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

Dictamnus Albus Linnious - इस पौधे के रसायन स्नायु रोगो, स्वविराम ज्वरो, मासिक श्राव की रुकावट, और हिस्टीरिया की चिकित्सा के लिए प्रयोग की जाती है। इसका अनुपान करने से धातृयों के दुग्ध श्राव बढ़ता है।

वनस्पति का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस वनस्पति का औषधीय नाम Dictamnus Albus Linnious है।
Pic credit - Google/en.wikipedia.org

विभिन्न भाषाओं में इस वनस्पति का प्रचलित नाम - हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में इस वनस्पति का प्रचलित नाम अनुपलब्ध है। अंग्रेजी में इसके कई सामान्य नाम प्रचलित है हिंदी में भी इसे उन्हीं नामो से जाना जाता है जैसे गैस प्लांट (Gass plant), डिटानी (Dittany), कैंडल प्लांट (Candle plant) इत्यादि।
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वंश - यह रुटैसी (Rutaceae) वंश की वनस्पति है। इस वंश की 6 प्रजातियों का उल्लेख ग्रंथो में मिलता है।
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निवास - यह दक्षिणी और मध्य यूरोप और एशिया के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाने वाली बहुवर्षीय झाडी है। ढलान वाली निचली सतहों पर इसकी खेती की जाती है। यह उत्तरी चीन में भी पाई जाती है।
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वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक तीब्र सुगंध वाली झाड़ीनुमा वनस्पति है। इसकी ऊंचाई लगभग 30 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। इसका तना साधारण, चिकना, और आधार कड़ा, छोटी छोटी उभरी हुई गाँठो से आवृत होता है।  तना पर इसकी पत्तिया एकान्तर लगती है। इसकी ऊपर की पत्तिया वृन्त विहीन (Sessile), साधारण और अण्डाकार होती है। शेष निचे वाली पत्तिया मिश्रित (Compound) होती है। पत्तिया चमकदार, चर्मिली और किनारा दन्तुर (Serrate) होती है इसके फूल टहनियों के शिखरों पर सफ़ेद गुलाबी या गुलाबी निल-लोहित, सुगन्धित, लम्बे, सुन्दर गुच्छो में लगते है। यह वनस्पति हिमालय में कश्मीर से कुनवार तक 1800 से 2400 मीटर की उचाई तक पाई जाती है। इसके पौधे अत्यंत सहिष्णु और दीर्घ जीवी होते है। इसके उगने के लिए कुछ भारी और सामान्य उपजाऊ मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसके बीज से पहले पौधा तैयार किया जाता है। उस पौधे को उखाड़ कर दूसरे स्थान पर दुबारा लगाया जाता है। तब पैदावार अच्छी होती है। रोपाई के दूसरे वर्ष में पौधे में फूल आने लगते है। पुराने पौधे में फूलो के गुच्छो के आकार बड़े होते है। इसके पौधे के सभी भागों से (तना, पत्तिया, फूल) वाष्पित तेल (Volatile oil) रीसते रहते है। शान्त (वायु न बहती हो) ग्रीष्म ऋतू की रात्री में यदि इसके मुख्य तना के पास फूलों के गुच्छों के निचे जलती हुई तिल्ली या मोमबत्ती (Candle) ले जाई जाय, तो वहा रोशनी तेज हो जाती है। इसलिए इसके पौधे को कैन्डल प्लान्ट या डेटानी कहा जाता है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे का पुष्पित शाखाग्र व्यवहार किये जाते है। इसका संकलन जून से अगस्त महीने में पुराने पौधों से किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - इस पौधे के पुष्पित शाखाग्रों में एक विषैला एल्केलायड Dectamnine पाया जाता है। इसके साथ साथ ट्राइगोनेलिन, कोलीन, ओबैकूलैक्टोन, फ्रैक्सीनेलोन, और सैपोनीन भी पाए जाते है। इसके फूलो में सुगन्धित तेल मिलता है जिसमे मैथिल कवीकाल और एथेनाल पाए जाते है।
इसकी जड़ो में Quinoline, isodictamnine, ismaculosidine नामक एल्कलायड पाए जाते है। इसके पौधे में गम्स, इसेंसियल आयल, मोम आदि भी पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म और शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे के रसायन स्नायु रोगो (Norves diseases) स्वविराम ज्वरो (जैसे - मलेरिया, कालाजार आदि), मासिक श्राव की रुकावट, और हिस्टीरिया (उन्माद) की चिकित्सा के लिए प्रयोग की जाती है। खाज (Scabies) और अन्य चर्म रोगो मे उपयोगी है। ये पाचन संस्थान की क्रिया सुधारते है और मांसपेशियों की ऐंठन और दर्द तथा वेदना (Antispas modic or analgesic)  करते है। इसका अनुपान करने से धातृयों के दुग्ध श्राव बढ़ता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - स्थानीय लोग इसकी पत्तियों को चाय की तरह इस्तेमाल करते है। औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे का Infusion, Tincture, Essence, Powder, Medicinal wine, Decoction, आदि कई रूपों में व्यवहार किया जाता है।  

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