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वंश - यह Droseraceae वंश की औषधीय पौधा है इस वंश में इसकी लगभग 100 जातिया पाई जाती है।
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निवास - यह पौधा ब्रिटेन का मूल निवासी है। यह यूरोप, एशिया, और उत्तरी अमेरिका में नमी युक्त क्षेत्रों में पाई जाती है। यह पौधा सम्पूर्ण भारत के आर्द्र पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 मीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है।
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वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक बहुवर्षीय छोटा पौधा है। इस पौधे की भूमिगत जड़े (प्रकंद) बहुत छोटी होती है। इसकी छोटी जड़े (Rootletes), काफी गठीली (Faciculate) होती है। इसकी पत्तिया जड़ के तुरंत बाद विकसित होने लगती है। इस पौधे में तना का लगभग अभाव होता है। पत्तियों के आकार चम्मच की भाँति गोल और लम्बे डंठल वाला होता है। चम्मचाकार पत्तियों का व्यास लगभग 4 सेंटीमीटर होता है। जड़ से निकली हुई पत्तिया गुच्छों में रहती है। जब तक सूर्य की किरणे पत्तियों पर नहीं पड़ती है तब तक पत्तियों का रंग हरा होता है। सूरज की किरणे पत्तियों पर पड़ते ही इनका रंग लाल हो जाता है। पत्तियों के किनारो पर गोल गोल बिंदी सदृश्य ग्रंथिया होती है। जिनसे एक मधुर आकर्षक चिपचिपा पदार्थ का रिसाव होता रहता है। सूरज की किरणों से यह चिपचिपा पदार्थ चमकता है और आकर्षक दिखने लगता है। इसी कारण इस जाती के पौधे को सूरज की ओस अर्थात Sundew कहा जाता है। पत्तियों के किनारो पर स्थित लाल घुण्डियों वाले पिनो के सादृश्य स्पर्शक (Like Antina) उगे हुए होते है। पत्तियों के चिपचिपे चमकदार पदार्थो से आकर्षित होकर कीड़े, पतंगे और तितलियाँ खींची चली आती है। और पत्तियों पर बैठ जाती है तितलियों या कीड़े, पतंगों को पत्तियों पर बैठते ही स्पर्शक अंदर की ओर मुड़कर उन्हें आबद्ध कर लेते है। कीड़ों और तितलियों में उपस्थित प्रोटीन, फैट्स और कार्बोहाइड्रेड्स, फॉस्फेट आदि वे पत्तियां पचा लेती है। उन्हें पचा लेने के बाद पत्तियों के स्पर्शक पुनः पूर्ववत खड़े या सीधे हो जाते है। इस प्रकार इस जाती के सभी पौधे किट - भक्षी या मांशाहारी होते है। इसके फूल छोटे छोटे होते है फूलो में 5 अदद परिदल (Petalls) होते है। और इसकी पंखुडिया सफ़ेद होती है। इसके फल अंडाकार (Oval)सम्पुटिका (Capsule) में होते है। फलो में अनेक खुरदुरे बीज होते है।
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औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इसके सम्पूर्ण पौधे व्यवहार किये जाते है। पौधे का संकलन ग्रीष्म ऋतू में किया जाता है। इस पौधे की पत्तिया ही औषधीय के लिए विशेष रूप से उपयोग की जाती है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस पौधे के पंचांग में विशेष कर पत्तियो मे Proteolytic Enzymes, Napthoquinone, Glucose, Droserin, Plombagol, Tannic acid, Propinic acid, Resin आदि रासायनिक पदार्थ पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थ मांसपेशियों के ऐठन पूर्ण दर्द (Spasmodic pain) को दूर करने का गुण रखते है। उनका स्वभाव अवसन्नता (Convulsion) को दूर करने वाला होता है। वे फेफड़े और वायु नालियों से कफ को बाहर रखने (Expectorant) की छमता रखते है। इस प्रकार इस पौधे के रसायन Antispasmodic, Anticonvulsion, Expectorant, गुण, धर्म, और क्रिया वाले होते है। इस पौधे की सुखी हुयी पत्तियों से कुकुर खाँसी (Whooping cough) की चिकित्सा करने के लिए किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे का Infusion, Fluid extract, Tincture,Syrup, आदि कई रूपों में किया जाता है।
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