पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधे का का वैज्ञानिक या औषधीय नाम Althaea officinalis Linnious है यह खतमी की ही जाती का एक औषधीय पौधा है।
वंश - यह पौधा Malvaceae कुल का सदस्य है इस कुल या वंश में इसकी सम्पूर्ण जातियों की संख्या 12 है परन्तु इनमे दोही जातिया Althaea officinalis & Althaea rosea औषधीय कार्य के लिए व्यवहार की जाती है।
निवासी - यह पौधा ब्रिटेन का मूल निवासी है सम्पूर्ण यूरोप में जंगली तौर पर यह उगता है भारत में यह पंजाब और कश्मीर में पाया जाता है
पौधा का विन्यास वर्णन - यह एक बहुवर्षीय औषधीय वनस्पति है पौधा का जड़ तरकुलाकार और पौधे का जड़ का रंग उजला होता है जिसमे कई छोटी जड़े (Rootlets) प्रस्फुटित रहती है इस पौधे की उचाई 6 से 7 फुट तक होती है। इस पौधे का तना साधारण या हल्का शाखित होता है इसकी पत्तिया हथरेली की आकार की गोल अनियमित दन्तुर होती है। पत्तिया की अंदर वाली सतह उजली और रोमयुक्त होती है मुख्या तनकी धुरी से एकान्तर पत्तियों से एकल या समूह में फूल लगते है। समूह में फूलो की संख्या 2 से 3 होती है फूलो के बाह्य पुंज दलों में पांच अदद अंदर की ओर परिदल तथा बहार की ओर पांच अदद उजली पुष्प पंखुडिया होती है पुष्प पंखुडिया के रंग हल्के गुलाबी लिए हुवे उजाला होता है। इसके फूलो के आकार गोल प्याला जैसा रंग सफ़ेद गुलाबी, लाल, पीला आदि कई रंगो के होते है। जामुनी रंग के फूल वाले पौधों को भारत वर्ष में गुलखेरो कहा जाता है। इनके फल गोलाकार होते है जिनमे काले चिकने और चपटे बीज किरणों की तरह सजे रहते है। पटना में इस बीज को लोग खतमी के नाम से जानते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित अंग - औषधीय कार्य के लिए इस पौधा का परिपक्व और पुष्ट जड़े व्यवहार की जाती जाती है। इसका संग्रहण किसी भी समय किया जा सकता है।
वनस्पति से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वनस्पति की जड़ में Althein, Mucilase, Starch 37%, Fatty oil, Asparagine, Betaine, और अन्य एंजाइम पाई जाती है। इस पौधे को रोगोपचार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के फार्माकोपिया में मान्यता प्राप्त है।
रासायनिक यौगिकों के गुड़, धर्म, और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाये - इस पौधे में पाए जाने वाले वसीय तेल त्वचा को स्निग्धता, लावण्यता और ताजगी प्रदान करते है। इसके टिंक्चर श्रृंगार सम्बन्धी सामानो को तैयार करने वाले उद्द्योगो में बड़े पैमाने पर व्यवहार किये जाते है। इसमें दन्त दर्द नासक गुड़, बहुत ज्यादा होता है और यह खांसी और श्राव की चिकित्सा के लिए व्यवहार किये जाते है। इसकी जड़ो को सलाद के रूप में और चाय की तरह व्यवहार की जाती है। मूत्र मार्ग या गुर्दे में पथरी हो तो इसके व्यवहार से टूट कर निकल जाता है। कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस, गैस्ट्राइटिस और पेप्टीक अल्सर, ब्रोन्कियल अस्थमा, और इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम में इसका यूज़ किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्य के लिए इस पौधे का कोल्ड मैसेरेशन , Infusion, Decoction, Poultice, Ointment, और अर्क का प्रयोग किया जाता है।
Pic credit Google/http://www.ct-botanical-society.org |
वंश - यह पौधा Malvaceae कुल का सदस्य है इस कुल या वंश में इसकी सम्पूर्ण जातियों की संख्या 12 है परन्तु इनमे दोही जातिया Althaea officinalis & Althaea rosea औषधीय कार्य के लिए व्यवहार की जाती है।
पिछ क्रेडिट - गूगल/http://www.tipdisease.com |
निवासी - यह पौधा ब्रिटेन का मूल निवासी है सम्पूर्ण यूरोप में जंगली तौर पर यह उगता है भारत में यह पंजाब और कश्मीर में पाया जाता है
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पौधा का विन्यास वर्णन - यह एक बहुवर्षीय औषधीय वनस्पति है पौधा का जड़ तरकुलाकार और पौधे का जड़ का रंग उजला होता है जिसमे कई छोटी जड़े (Rootlets) प्रस्फुटित रहती है इस पौधे की उचाई 6 से 7 फुट तक होती है। इस पौधे का तना साधारण या हल्का शाखित होता है इसकी पत्तिया हथरेली की आकार की गोल अनियमित दन्तुर होती है। पत्तिया की अंदर वाली सतह उजली और रोमयुक्त होती है मुख्या तनकी धुरी से एकान्तर पत्तियों से एकल या समूह में फूल लगते है। समूह में फूलो की संख्या 2 से 3 होती है फूलो के बाह्य पुंज दलों में पांच अदद अंदर की ओर परिदल तथा बहार की ओर पांच अदद उजली पुष्प पंखुडिया होती है पुष्प पंखुडिया के रंग हल्के गुलाबी लिए हुवे उजाला होता है। इसके फूलो के आकार गोल प्याला जैसा रंग सफ़ेद गुलाबी, लाल, पीला आदि कई रंगो के होते है। जामुनी रंग के फूल वाले पौधों को भारत वर्ष में गुलखेरो कहा जाता है। इनके फल गोलाकार होते है जिनमे काले चिकने और चपटे बीज किरणों की तरह सजे रहते है। पटना में इस बीज को लोग खतमी के नाम से जानते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित अंग - औषधीय कार्य के लिए इस पौधा का परिपक्व और पुष्ट जड़े व्यवहार की जाती जाती है। इसका संग्रहण किसी भी समय किया जा सकता है।
वनस्पति से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वनस्पति की जड़ में Althein, Mucilase, Starch 37%, Fatty oil, Asparagine, Betaine, और अन्य एंजाइम पाई जाती है। इस पौधे को रोगोपचार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के फार्माकोपिया में मान्यता प्राप्त है।
रासायनिक यौगिकों के गुड़, धर्म, और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाये - इस पौधे में पाए जाने वाले वसीय तेल त्वचा को स्निग्धता, लावण्यता और ताजगी प्रदान करते है। इसके टिंक्चर श्रृंगार सम्बन्धी सामानो को तैयार करने वाले उद्द्योगो में बड़े पैमाने पर व्यवहार किये जाते है। इसमें दन्त दर्द नासक गुड़, बहुत ज्यादा होता है और यह खांसी और श्राव की चिकित्सा के लिए व्यवहार किये जाते है। इसकी जड़ो को सलाद के रूप में और चाय की तरह व्यवहार की जाती है। मूत्र मार्ग या गुर्दे में पथरी हो तो इसके व्यवहार से टूट कर निकल जाता है। कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस, गैस्ट्राइटिस और पेप्टीक अल्सर, ब्रोन्कियल अस्थमा, और इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम में इसका यूज़ किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्य के लिए इस पौधे का कोल्ड मैसेरेशन , Infusion, Decoction, Poultice, Ointment, और अर्क का प्रयोग किया जाता है।
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