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मेलिसा ऑफिसिनालिस (Melissa Officinalis): इलेक्ट्रो-होम्योपैथी में एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा

"कॉम्पेन्डियम ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथिक मेडीसीनल प्लान्ट्स एण्ड मेडीसीन्स"

खण्ड प्रथम; प्रकरण- 60; पौधा कोड नं० 60.

Melissa Officinalis Linnious
M = औषधोय,

Melissa Officinalis Linnious medicinal plant image
Image source: Wikimedia Commons (Creative Commons License)


Melissa Officinalis Linnious का पौधा
Image source: Wikimedia Commons (Creative Commons License)


1. बनस्पति का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - मेलीता ऑफीसीनेलिस लिनिअस (Melissa Officinalis Linnious).

2. इलेक्ट्रो होम्यो पैथी की औषधि विन्यास में एस० पी० के अनुसार इसके टिक्चर के व्यवहृत अनुपात -  स्क्रोफोलोसो नं० 11. (Scrofoloso No 11 = S11) के विन्यास के लिए इस वनस्पति के टिंक्चर का 3.0 भाग व्यवहार किया जाता है। जर्मनी भाषा में इसे Stutt Mittel No. 11 कहा जाता है। इस पैथी के संस्थापक डा० काउन्ट सीजर मैटी द्वारा "मैटी रेमेडीज" की औषधियों के विन्यास के लिए गृह वनस्पति व्यवहार नहीं की जाती थी। इसके टिक्चर में उपलब्ध रासायनिक पदार्थों के गुण, धर्म और शारीरिक क्रियाओं के आधार पर इसके टिक्चर का, मैटी के बाद आने वाले दवा साजों ने व्यवहार आरम्भ किया है। इसके उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।

3. विभिन्न भाषाओं में वनस्पति का प्रचलित नाम - आंग्ल भाषा में इसका सामान्य नाम (common name) Balm या Common Balm है (MEMP; Paze 193 सचित्र; DPOM, Page 385). अन्य भाषाओं में इसके प्रचलित नाम अनुपलब्ध है। "बाम" (Balm) का शाब्दिक अर्थ "शान्तिदायक" या "सुगन्धि देने वाली औषधि" होता है।

4. कुल -  यह 'लेबियेटी" (Labiatae) कुल की औषधीय बूटी है। इस कुल में इसकी लगभग तीन प्रजातियाँ पाई जाने की सूचना है। (DPUM, Page 385).

5. निवास - यह औषधीय वनस्पति दक्षिणी यूरोप का आदि (मूल) वासी है। यह अव सभी क्षेत्रों में पायी जाती है। तर्वप्रथम यह यूरोप से परसिया में और, फिर, मध्य एशिया में विस्तार पाकर सारी दुनिया में फैल गई है।

6. वनस्पति का विन्यास वर्णन - यह एक बारहमासी (perennial) काष्ठीय प्रकन्द (woody rhizome) वाली औषधीय बूटी है। इसका बहुशाखीय तना वर्गाकार होता है। इसकी ऊँचाई लगभग एक मीटर या इससे अधिक होती है। इसका तना हल्का रोमील, पीलापन लिए हुए चमक वाला होता है। इसकी आमने-सामने लगनेवाली पत्तियाँ (सवृत्त (petiolate) होती है। ऊपर की ओर क्रमागत निकलने वाली पत्तियाँ वृत्त के साथ-साथ पत्तियाँ भी छोटी होती चली जाती हैं। पत्तियाँ हृदयाकार, (cardiolate) फैली हुयी और नुकीली होती हैं। पत्तियों का किनारा दंतूर और शिराएँ स्पष्ट होती है। इसकी गहन पत्तियों सघन झाड़ी का रूप ले लेती है। पत्तियों के अक्ष पर स्थित डण्ठलों में फूल गुच्छों में लगते हैं। डालियों पर इसके फूल प्रायः बसन्त ऋतु के उत्तराद्ध में खिलते हैं। फूलों का बाह्यदलपू'ज घण्टी की आकृति (bellshaped) के होते हैं। इसको अखड़ियाँ (sepals), रोमिल (pilosect) और द्विओष्ठी (bilobiate) होती है। अंखुड़ियों की ऊपरी ओष्ठ नीचली ओष्ठ की अपेक्षा बड़ी होती है। पुष्प दल पूंज भीतर की ओर नलीकाकार (tubular) होता है, जिनकी पंखुड़िों का रंग गुलाबी-उजाला (ponkis-white) होता है। पुष्पदलपूज के ऊपरी ओष्ठ उभरे हुए रहते हैं; जबकि नीचली बोष्ठ स्पष्ट रूप से तीन खण्डों में विभक्त रहते हैं, जिनमें चार खाने होते हैं, और वे लम्ववत तिल्ली की तरह फैले हुए होते हैं। इसके गहरे रंग के फल अरोमील और धमकीले होते हैं। शाखाओं पर इसके फूलों की आकृति एव सज्जा "ग्लेकोमा हेड सिया" (पौधा कोड नं0 47) के सादृश्य होते हैं, परन्तु पत्तियों का विन्यास उससे भिन्न होता है। फूलों के परिदल पुंज विन्यास में भी भिन्नता होती है, (MEMP, Page 193 सचित्र) ।

7. वनस्पति का व्यवहृत अंग - औषधीय कार्यों के लिए इसके पौधों की पत्तियाँ और पुष्पित शाखाग्र व्यवहार की जाती है। इनका संकलन बसन्त ऋतु के उत्तराद्ध और ग्रीष्म ऋतु के आरम्भ में किया जाता है। यह वनस्पति का पुष्पण काल है।

8. वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - वनस्पति की पत्तियों और पुष्पिन शाखाग्र में एल्डीह' इड्स [Aldehydes = प्राइमरी अल्कोहल के ऑक्सीकरण से एल्डीहाइड्स का और सेकेन्डरी अल्कोहल के ऑक्ळीकरण से किटोन (kiton) का संश्लेषण होता है। ये दोनों हो कार्बनिक यौगिक (organic compounds, है परन्तु किटोन इस वनस्पति में नहीं पाया जाता है।], म्यूतीलेज (mucilage), एंजाइम्स, स्टार्च, कड़ आ पदार्थ, टैनीन, सैपोनीन, ऐसेम्सीयल ऑयल, जेइन (g-in), गेमानी ऑयन (gemani oil), सः इट्रोनेलॉल (citronellal), साइट्रीयोल (citriol) आदि रसायन पाए जाते हैं।

9. रासायनिक पदार्थों के गुण धर्म और शारीरिक क्रियाएँ - इस वनस्पति की पत्तियों और शाखाग्र से उपलब्ध रासायनिक पदार्थ एण्टी स्पाज्मोडीक (उद्वेष्ठ-रोधक = antispasmodic) उन्माद रोधी (antihysteric) पौष्टिक, पाचक क्रिया वाले होते हैं। Spasm - चिकनी पेशियों में होने वाले तनाव, ऐंठन या गड़बड़ी (functional or structural) को उष्ठ या स्पाज्म कहा जाता है। (antispas-modic A substance relieves spasm of smooth muscles. Spasmo-lytic A drug or substance that relives spasm of smooth muscles, Spasmolytic like melissa officinalis may be used as broncho dilaters to relieve spasm in bronchial muscles, to stimulant the heart in the treatment of angina, or to relieve colic to spasm of the digestive system.) कहने का तात्पर्य है कि चिकनी पेशियों में होनेवाली ऐंठन. तनाब, या असामान्य आंकुचन को इस बूटी से प्राप्त रासायनिक पदार्थ दूर करते हैं। हम जानते हैं कि, चिकनी पेशियों से ही हमारे स्वैच्छिक क्रिया करने वाले महत्त्व पूर्ण अनेक अंगों का निर्माण हुआ है। इसी प्रकार की चिकनी या अनैच्छिक पेशियों से हमारी श्वास नली, छाती की पसलियों से लगने वाली पेशियाँ, हृदय, आमाशय, आंतों की पेशियाँ आदि स्वैच्छिक क्रिया करने वाले अंग निर्मित हैं। इस प्रकार इन सभी अंगों पर इस वनस्पति से प्राप्त रासायनिक पदार्थो की अच्छी और प्रत्यक्ष प्रभाव है। इसके रसायनों का स्नायुतंतुओं पर अवसादक प्रभाव है, इसलिए उन्माद (hysteria) के दौरा समाप्त करने में इससे उत्तम लाभ मिलता है। इस वनस्पति के सामान्य नाम (common name) बाम (balm) से भी स्पष्ट है कि इससे प्राप्त रासायनिक पदार्थ शान्तिदायक और सुगन्धि देने वाले होते हैं। इसके रसायन पाचक और पौष्टिक स्वभाव रखते हैं।

जार्ज ऊपार के मतानुसार इस वनस्पति की पत्तियों और फूलों का काढ़ा (decoction) दांत दर्द और सिर दर्द के लिए घरेलू चिकित्सा के रूप में व्यवहार की जाती है। इसकी पत्तियां शराब को सुगन्धित करने सलाद, सूप (soup) और सिरका (vinegare) के रूप में व्यवहार की जाती है (DPUM, Page 385-386). इसका तात्पर्य है कि इसकी पत्तियां वैषली प्रभाव नहीं रखती हैं। उपरोक्त पंक्तियों में कथित इसकी क्रियामों के मुताबिक ही दम्मा, श्वांस कष्ट, ज्वर, निमोनिया, हृदयशूल, आँतशूल, गर्भाशयच्यूति आदि अनेक रोगों में सफल औषधि प्रमाणित हुई है।

10. वनस्पति व्यवहार के प्रचलित स्परूप - औषधीय कार्यों के लिए इसकी पत्तियों और पुष्पित शाखाग्रों का इन्फ्यूजन, तरल सत्त्व, टिंक्चर, सिरप, फॉट या नथाय, इप्लीक्सीयर (clexir) आदि कई रूपों में व्यवहार प्रचलित है। इलेक्ट्रो होम्यो पैथी की औषधि विन्यास के लिए इस वनस्पति के टिंक्चर का उपयोग इसीवसीयर के रूप में किया जाता है। इलीक्सीयर का तात्पर्य उस औषधि से है, जो आयू को बढ़ाती है। तात्पर्य है, कि इसते निर्मित इलेक्ट्रो होम्योपैथी को औषधि स्क्रोफोलोसो नं० 11 (S11) आयू बढ़ाने वालो औषधि है।

11. टिप्पणी - इस वनस्पति के फूलों से निष्कषित सुगन्धि मधुमक्खियों के लिए आकर्षण का केन्द्र होता है। सुगन्धि के हो कारण इसके इत्र का उपयोग शराब, शरवत, और औषधियों को सुवासित करने हेतु किया जाता है। इसकी पत्तियों या फत्रों में इत्र (Essence) की सान्द्रता अति अल्प होती है, फलस्वरूप इसमें मिलावट की पर्याप्त गुंजाईश रहती है। "लीपिया" या "साइटूस टरपेन्स" 'का इत्र (Essence, इसमें मिलावट के लिए उपयोग किया जाता है। आमतौर पर शान्तिदायक और सुगन्ध के लिए इसकी पत्तियाँ व्यवहार की जाती है। अवसादक (sedative) औषधि के रूप में इसका टिक्चर ऐलोपैथी में भी व्यवहार किया जाता है (MEMP, Page-193)। इस वनस्पति की विशिष्ट सुगन्ध को बिल्ली विशिष्ट रूप से पसन्द करती हैं। बिल्लियों के बदन में इसकी सुगन्ध (essence) लिपट जाने के बाद विरोधी लिग वाली बिल्लियाँ विशिष्ट रूप से आकर्षित होती है। ऐसा हो गुण और स्वभाव "मेलिसा पर्वीफ्लोरा" के पौधों में भी बाया जाता है। इस स्वभाव के कारण इस पौधे को (M. Parviflora) को हिन्दी में "बिल्ली लोटन" कहा जाता है।

II जैसाकि पूर्व की कण्डिका 2 में वर्णन है कि इस वनस्पति (M. offici-nalis) के टिक्चर का 3.0 भाग S11 के विन्यास के लिए व्यवहार किया जाता है। चूंकि S11 के विन्यास के लिए व्यवहृत सभी वनस्पतियों के टिंक्चर की अपेक्षा यह अनुपात मात्रा सर्वाधिक है, साथ ही इसके (S11) अलावा और किसी भी औषधि विन्यास के लिए इस वनस्पति के टिक्चर का उपयोग नहीं हुआ है। इसलिए इस प्रकरण की पूर्व कण्डिका नौ में वर्णित इसके गुण, धर्म और शारीरिक क्रियाओं का S1 की क्रियाओं में प्रमुख स्थान होना चाहिए। परन्तु इ० हो० पै० की अवतक प्रकाशित साहित्यों में पूर्व की कण्डिका के अनुकुल औषधि रूप में S11 के गुण, धर्म और क्रियाओं के वर्णन का पूर्णतः अभाव है। इनकी पुस्तकों में S11 को सिर्फ वमन रोधी (antiemetic), के रूप में वर्णन किया गया है। लेकिन वास्तविकता है कि, जैसाकि पूर्व की कण्डिका नौ में अंकित है. इसके अनुसार औषधि रूप में S11 का कार्य क्षेत्र अतिव्यापक विस्तृत और विशिष्ट है। SI1 की ऐसी शारीरिक क्रियाओं का वर्णन इ० हो० पै० की लिखी जाने वाबी नयी पुस्तकों में अवश्य अकित की जानी चाहिए। पूर्व की कण्डिका 9 के मुताबिक S11 का कार्य क्षेत्र स्वैच्छिक या चिकनी पेशियां एवं उनसे निर्मित अंग तो है ही, S11 में पाचक, पौष्टिक, तथा तंत्रिका तंत्र के लिए अवसादक गुण, धर्म और क्रियाएँ भी पाई जाती है। अवसादक गुण, धर्म और क्रियाओं के ही कारण SI1 अपना वमन रोधी क्रियाएँ प्रकट करता है। बमनरोधी और दर्दनाशक सभी औषधियाँ कमोवेश अवसायक और नीद्रल होती हैं।

12. भारतीय विकल्प - पूर्व की कण्डिका 5 द्रष्टव्य है। यह विदेशी मूल की वनस्पति है। भारतीय मूल की वनस्पति "बिल्ली लोटन" इसका विकल्प बनस्पति है। इसका वैज्ञानिक या औषधीय नाम Nepta Hindostana (Roth) Hain है। उर्दू भाषा में इसे "बंदराज बोया" या "बेब्रज खटाई" कहा जाता है। ऐसा वर्णन "भारत की सम्पदा" खण्ड-3 पृष्ठ 397 पर अंकित है। "ग्लॉसरी ऑफ इन्डियन मेडीसीनल प्लान्ट्स" के पृष्ठ 164 पर हिन्दी में "बिल्ली लोटन" उर्दू में ब्रज बोया (Baranjboya) के पौधे का औषधीय या वैज्ञानिक नाम "मेलीसा पीपलोरा" "वेन्थ" (Melissa Parviflora Benth) कहा गया है। इसी पुस्तक के पृष्ठ 175 पर "नेप्टा होन्दोस्ताना" रॉथ (Nepta Hindostana Roth) को पंजाबी में 'बदरंज बोया" और "बिल्ली लोटन" बताया गया है। नेप्टा रूडेरैलीस "हूक" (Nepta Ruderalis Hook) इसका पर्याय पौधा है। यद्यपि कि इव पुस्तकों में 'मेलीसा ऑफिसीनेलीस" का वर्णन उपलब्ध नहीं है (क्योंकि यह विदेशी मूल की वनस्पति है)। तथापि इनमें "मेलीसा पर्वीफ्लोरा," 'नेप्टा हिन्दोस्ताना" के रासायनिक पदार्थों के गुण, धर्म, और क्रियाओं के वर्णन से स्पष्ट है कि शारीरिक क्रियाओं के मामले में (In biological activities) ये सभी "मे० ऑफिसीनेलीत" के सादृश्य परिणाम देनेवाली वनस्पतियाँ हैं। इसलिए "मे० ऑफिसीनेलिस के अभाव में विकल्प रूप में "मे० पर्वीफ्लोरा को स्वीकृत कर लेना तर्क संगत होगा। हॉलाकि विकल्प रूप में "नेष्टा कैटारिया" या, "नेप्टा हिन्दोस्ताना को स्वीकृत करना भी गलत निर्णय नहीं होगा। मे० पर्वीफ्लोरा भारतीय मूल की वनस्पति है, इसलिए इसकी चर्चा विदेशी पुस्तकों में अनुपलब्ध है। ये सभी लैविएटी" वंश की वनस्पतियाँ है। इनमे "मे० पर्वीफ्लोरा वेन्थ" (M. Parviflora Benth) का अध्ययन हम उसी पुस्तक के तीसरे खण्ड में करेंगे ।

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