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CundurMarsdenia ango Reich. f. - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ ऑतो की क्रिया सुधरने के साथ साथ पर्याप्त वर्णको के कारण सफ़ेद बाल काले हो जाते है। त्वचा के सफ़ेद रंग (leucoderma) सामान्य रंग के हो जाते है।

Marsdenia Cundurango Reich: वैज्ञानिक विवरण और औषधीय उपयोग

Marsdenia Cundurango Reich medicinal plant image

Marsdenia Cundurango Reich का पौधा


पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Marsdenia Cundurango Reich. f. है। इसकी तने की छाल को marsdenia reichen bachii कहा जाता है। पर्याय (synonym) - M. Reichen Bachii Triana है। इसे अंग्रेजी भाषा में condor wine कहा जाता है। DPUM (A Dictionary of Plants Used by Man) Page - 380,171
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - इसके तने की छाल का सामान्य नाम marsdenia reichen bachi, condor wine कहा जाता है। अन्य भाषाओ में इसके प्रचलित नाम अनुपलब्ध है।
वंश - यह Asclepiadaceae कुल का लत्तरदार वनस्पति है। इस कुल में इसकी लगभग 10 प्रजातियां पाई जाती है।
निवास - यह औषधीय वनस्पति अफ्रीका का आदिवासी है। उष्ण कटिबंध में स्थित एशिया और अमेरिका में भी यह पाया जाता है। कोलंबिया में भी इसके पौधे पाए जाते है। भारत में इसके पाए जाने की सूचना अनुपलब्ध है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक आरोही लत्तरदार औषधीय वनस्पति है। इसके पौधे बाड़ या पेड़ो का सहारा लेकर ऊपर बढ़ते है। इसकी पत्तियों के साथ ट्रेन्डिल्स (trendles)निकलते है, जिनके सहारे पौधे आगे की ओर बढ़ते है। इनकी लताओं की लम्बाई 30 से 40 फिट तक पाई जाती है। इसके मुख्य तना से अनेक शाखाएँ और उपशाखाएँ निकलकर बाड़ों या सहारा देने वाले वृक्षों पर फैलती है। इसकी पत्तिया अपेक्षाकृत बड़ी, नोकदार, गहरे हरे रंग की होती है। इसके पुष्प सहायक टहनियों पर छत्राकार गुच्छो में लगते है। फूलो की पांच अदद पंखुड़ियाँ अंदर की ओर संकीर्ण होकर और फिर बाहर की ओर फैलकर आभा मंडल (orona) का निर्माण करती है। इसके बीज कोष मोटे और कठोर होते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति के परिपक्व तना की छाल उपयोग किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में इसके तना से छाल उतार कर कमरा के सामान्य तापमान पर छाया शुष्क कर लिया जाता है। औषधीय के लिए इसके छाल  का व्यवहार किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस पौधे की छाल में marsdianine, enzymes, starch, carbohydrates, tannin, mucilage, resin, ascorbic acid or vitamin "C" thiamine or vitamin "B" आदि कई उपयोगी रसायन पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ रोगाणुरोधक (antibiotic), जीवाणुरोधक (antiviral), एंटीसेप्टिक (antiseptic), पाचक (eupeptic), उत्तेजक (stimulant), पित्त श्रावक (cholagogic), कृमिनाशक (vermifuge) आदि गुण, धर्म, और क्रियाएं पाई जाती है। इसकी छाल से प्राप्त रासायनिक पदार्थ पित्त श्रावक एवं पित्त प्रवाह नियामक होते है। इसका अमाशय, छोटी आंत, मलाशय, और गुदा मार्ग में फैली हुई स्नायु मंडल के जाल पर क्रिया शील प्रभाव है। इस प्रभाव के कारण, पाचन रसो  का रिसाव और पाचन क्रिया समुचित होती है। ऑतो के कार्य सामान्य होने से, अतिसार, बवासीर, पेचिश, बवासीर आदि पेट के रोग आरोग्य होते है। रक्त सुदा पेचिश की इसके रसायन महौषधीय है। त्वचा और बालो को वर्णक प्रदान करने वाली कोशिकाओं तथा पित्त प्रणाली पर इसके रसायनो के क्रियाशील प्रभाव के कारण रक्त में वर्णको की सांद्रता अच्छी होती है। फलस्वरूप ऑतो की क्रिया सुधरने के साथ साथ पर्याप्त वर्णको के कारण सफ़ेद बाल काले हो जाते है। त्वचा के सफ़ेद रंग (leucoderma) सामान्य रंग के हो जाते है। सामान्य पित्त प्रवाह के फलस्वरूप कब्जीयत, अतिसार, आदि पेट के रोगो की यह आरोग्यात्मक औषधीय है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे की छाल का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।

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