Lycopodium Clavatum Linnious: वैज्ञानिक विवरण, रासायनिक यौगिक और औषधीय उपयोग
पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Lycopodium Clavatum Linnious है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - मद्रास में इस सैवालनुमा औषधीय बूटी को बेंदरली (bendarli) कहा जाता है। और अंग्रेजी भाषा में इसका सामान्य नाम club moss है।
वंश - यह पौधा lycopodiaceae कुल का शैवालीय बूटी है। इस कुल में इसकी लगभग 450 प्रजातियां पाई जाती है।
निवास - यह वनस्पति दलदली और आर्द्र क्षेत्रों में पाए जाने वाली औषधीय बूटी है। यह शैवाल नुमा औषधीय बूटी उत्तरी और मध्य यूरोप के साथ साथ ब्रिटेन में बहुतायत पाई जाती है। मद्रास राज्य में इसे बेदरली कहा जाता है। यह बूटी मद्रास के साथ साथ हिमालय के कुछ भागो में भी पायी जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक लत्तरदार (creeping) औषधीय बूटी है। इसकी अनियमित जड़े निचली लत्तरदार टहनियों या प्रकाण्डो (stems) से निकलकर विकसित होती है। इसके पौधे में छोटी छोटी अनेक शाखाएं होती है। जिनपर दो काँटे (forked) होते है। इसकी पत्तिया हल्की दंतुर, हरे रंग की रैखिक रूप से एक दूसरे को ढकती हुई शाखाओ पर अवृंत (sessile) लगती है। शाखाओ की शीर्ष से एक या दो लम्बी डंठल निकलती है। जिनकी उचाई लगभग 40 से 50 सेंटीमीटर तक होती है। इन डंठलों के अन्तस्थ (terminal) पर गुर्दे की आकार की जालियो में गोलाकार स्पोर्स(spores = एक प्रकार के अलिंगी बीज, जो बढ़ कर एक नया बीज बन जाता है।) होते है। जो देखने में पिले रंग के होते है। स्पोर्स से रालनुमा (resinous), चूर्ण निकलते है। वास्तव में ये स्पोर्स ही इस बूटी के औषधीय अंग है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस बूटी के स्पोर्स उपयोग किया जाता है। इसका संग्रहण ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इससे प्राप्त स्पोर्स में रेजिन (resin), चीनी (sugar or carbohydrates), एन्जाइम्स, लाइकोपोडीन (lycopodine), क्लैवेटीन (clavatine), क्लैवेटॉक्सीन (clavatoxine), फाइटोस्टेरॉल (phytosterol), मोम (wax), तेल, ग्लिसेरॉल आदि अनेक रासायनिक पदार्थ पाए जाते है। अमेरिका में पाए जाने वाली इस बूटी में लाइकोपोडिन के साथ साथ निकोटीन (nicotine) भी पाए जाते है। अमेरिकी पौधे में क्लैवेटिन और क्लैवेटॉक्सीन का अभाव पाया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ मूत्रल (diuretic), शांतिदायक, अवसादक (sedative), कृमिनाशक (anthelminthic) ऋतु श्राव नियामक आदि क्रियाओ वाले होते है। इसके अलावा जोड़ो के दर्दो और फेफड़ो के रोगो में भी लाभकारी होते है। इसके रसायन सभी प्रकार के संचयन (active congestion or passive congestion) को दूर करने वाले (decongestant), खुजली नाशक (antipruritic) त्वचा पर होने वाली जलन को दूर करने, आदि क्रिया वाले होते है। तथा गर्मी में होने वाली घमौरियों की चिकित्सा के लिए किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इसके स्पोर्स का चूर्ण, क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), सौंदर्य प्रसाधन के तेल, पाउडर आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - मद्रास में इस सैवालनुमा औषधीय बूटी को बेंदरली (bendarli) कहा जाता है। और अंग्रेजी भाषा में इसका सामान्य नाम club moss है।
वंश - यह पौधा lycopodiaceae कुल का शैवालीय बूटी है। इस कुल में इसकी लगभग 450 प्रजातियां पाई जाती है।
निवास - यह वनस्पति दलदली और आर्द्र क्षेत्रों में पाए जाने वाली औषधीय बूटी है। यह शैवाल नुमा औषधीय बूटी उत्तरी और मध्य यूरोप के साथ साथ ब्रिटेन में बहुतायत पाई जाती है। मद्रास राज्य में इसे बेदरली कहा जाता है। यह बूटी मद्रास के साथ साथ हिमालय के कुछ भागो में भी पायी जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक लत्तरदार (creeping) औषधीय बूटी है। इसकी अनियमित जड़े निचली लत्तरदार टहनियों या प्रकाण्डो (stems) से निकलकर विकसित होती है। इसके पौधे में छोटी छोटी अनेक शाखाएं होती है। जिनपर दो काँटे (forked) होते है। इसकी पत्तिया हल्की दंतुर, हरे रंग की रैखिक रूप से एक दूसरे को ढकती हुई शाखाओ पर अवृंत (sessile) लगती है। शाखाओ की शीर्ष से एक या दो लम्बी डंठल निकलती है। जिनकी उचाई लगभग 40 से 50 सेंटीमीटर तक होती है। इन डंठलों के अन्तस्थ (terminal) पर गुर्दे की आकार की जालियो में गोलाकार स्पोर्स(spores = एक प्रकार के अलिंगी बीज, जो बढ़ कर एक नया बीज बन जाता है।) होते है। जो देखने में पिले रंग के होते है। स्पोर्स से रालनुमा (resinous), चूर्ण निकलते है। वास्तव में ये स्पोर्स ही इस बूटी के औषधीय अंग है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस बूटी के स्पोर्स उपयोग किया जाता है। इसका संग्रहण ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इससे प्राप्त स्पोर्स में रेजिन (resin), चीनी (sugar or carbohydrates), एन्जाइम्स, लाइकोपोडीन (lycopodine), क्लैवेटीन (clavatine), क्लैवेटॉक्सीन (clavatoxine), फाइटोस्टेरॉल (phytosterol), मोम (wax), तेल, ग्लिसेरॉल आदि अनेक रासायनिक पदार्थ पाए जाते है। अमेरिका में पाए जाने वाली इस बूटी में लाइकोपोडिन के साथ साथ निकोटीन (nicotine) भी पाए जाते है। अमेरिकी पौधे में क्लैवेटिन और क्लैवेटॉक्सीन का अभाव पाया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ मूत्रल (diuretic), शांतिदायक, अवसादक (sedative), कृमिनाशक (anthelminthic) ऋतु श्राव नियामक आदि क्रियाओ वाले होते है। इसके अलावा जोड़ो के दर्दो और फेफड़ो के रोगो में भी लाभकारी होते है। इसके रसायन सभी प्रकार के संचयन (active congestion or passive congestion) को दूर करने वाले (decongestant), खुजली नाशक (antipruritic) त्वचा पर होने वाली जलन को दूर करने, आदि क्रिया वाले होते है। तथा गर्मी में होने वाली घमौरियों की चिकित्सा के लिए किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इसके स्पोर्स का चूर्ण, क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), सौंदर्य प्रसाधन के तेल, पाउडर आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।