Lobelia Inflata Linnious: वैज्ञानिक विवरण और औषधीय उपयोग
पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Lobelia Inflata Linnious है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - अंग्रेजी भाषा में इस वनस्पति का नाम भारतीय तम्बाकु (indian tabacco) है। इसके विकल्प वनस्पति lobelia nicotianaefolia heyne को अंग्रेजी भाषा में दैवनूला (devanula), और धवल (dhaval) कहा जाता है। भारतीय तम्बाकू का विभिन्न भाषाओ में नाम, संस्कृत में तमाल, हिंदी और बंगला में तमाक, तमाकू आदि है इसका वैज्ञानिक नाम Nicotiana tabacum linnious है। ये दोनों पौधे गुड़, धर्म में एक जैसे है।
वंश - भारतीय मतानुसार (भारतीय वनस्पति शास्त्री - R.N. Chopda, B.S. Varma, S.L. Naiyar, Ram P. Rastogi, B.N.Malotra) आदि ने यह पौधा लोवेलिएसी कुल का सदस्य बताया गया है। लेकिन "दी मैकडोनाल्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ मेडिसिन्स प्लांट्स" के लेखक रार्वेटो चैएजी ने अपनी इस पुस्तक के पृष्ठ 180 पर इस वनस्पति को कैम्पानुलैंसी (campanulaceae)वंश का सदस्य कहा है।
निवास - यह वनस्पति अमेरिका और कनाडा का मूल निवासी है। इसके पौधे भारत में नहीं होते है। इसी के स्थान पर व्यवहार होने वाली वनस्पति लो. पीरामीडैलिस के पौधे हिमालय में कुमाऊ से सिक्किम की पहाड़ी क्षेत्रों में 900 से 2700 मीटर की उचाई तक पाई जाती है। पूर्वी हिमालय के क्षेत्रों, नीलगिरि की पहाड़ियों और केरल में इसकी खेती कुछ जगहों पर की जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह लगभग 50 सेंटीमीटर उचाई वाली एक वर्षीय वनस्पति है। इसके प्रकंद सीधा, कोणीय और थोड़ा थोड़ा रोमिल होते है। इसकी ग्रंथिल एकान्तर पत्तियों के आकार अण्डाकार, अल्पवृन्तीय तथा भालाकार तिष्ण शीर्ष होते है। पत्तियों का किनारा हल्का दंतुर और सतह रोमिल होती है। इसके फूल शाखा के अन्तस्थ पर या पत्तियों के अक्ष पर (axis of the leaves) लगते है। फूलो का रंग हल्का पीला और नीला होता है। इसके फल छोटे दीर्घवृत्तीय अंडाकार या बर्तुल सम्पुटिका रूप में 15 से 20 मिलीमीटर लम्बे होते है। इसके बीजो का आकार गोलाकार या दीर्घ वृत्तीय रंग गहरे भूरे, लम्बाई लगभग 0.5मिलीमीटर होती है। इस वनस्पति का पौधा विन्यास भारतीय तम्बाकू नि. टैबैकम के समरूप होता है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे का पुष्पित शाखाग्र उपयोग किया जाता है। इसका संकलन पुष्पित अवस्था में बसंत ऋतु के आरंभ में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस पौधे के पुष्पित शाखाग्र से प्राप्त रसायनिक पदार्थ lobeline, lobelacrine, enzymes, inflatin, lobelic acid, एसेंसियल आयल,रेजिन आदि रसायनिक पदार्थ पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ शरीर पर वमनकारी (emetic) कफोत्सारक, एंटीस्पाज्मोडिक (antispasmodic), स्वेदकारी (diaphoretic), और पहले उत्तेजक और बाद में अवसादक (depressant or sedative) आदि क्रियाएं होती है। इसके अनुपान से मस्तिष्क के रोग दूर होते है। यह वमन, ज्वर, छाती के रोग, गुर्दो के रोग, पागलपन,आक्षेप, दमा मिर्गी, हिस्टीरिया, पाचन संस्थान के रोग आदि में यह लाभकारी है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति के टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), चूर्ण आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - अंग्रेजी भाषा में इस वनस्पति का नाम भारतीय तम्बाकु (indian tabacco) है। इसके विकल्प वनस्पति lobelia nicotianaefolia heyne को अंग्रेजी भाषा में दैवनूला (devanula), और धवल (dhaval) कहा जाता है। भारतीय तम्बाकू का विभिन्न भाषाओ में नाम, संस्कृत में तमाल, हिंदी और बंगला में तमाक, तमाकू आदि है इसका वैज्ञानिक नाम Nicotiana tabacum linnious है। ये दोनों पौधे गुड़, धर्म में एक जैसे है।
वंश - भारतीय मतानुसार (भारतीय वनस्पति शास्त्री - R.N. Chopda, B.S. Varma, S.L. Naiyar, Ram P. Rastogi, B.N.Malotra) आदि ने यह पौधा लोवेलिएसी कुल का सदस्य बताया गया है। लेकिन "दी मैकडोनाल्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ मेडिसिन्स प्लांट्स" के लेखक रार्वेटो चैएजी ने अपनी इस पुस्तक के पृष्ठ 180 पर इस वनस्पति को कैम्पानुलैंसी (campanulaceae)वंश का सदस्य कहा है।
निवास - यह वनस्पति अमेरिका और कनाडा का मूल निवासी है। इसके पौधे भारत में नहीं होते है। इसी के स्थान पर व्यवहार होने वाली वनस्पति लो. पीरामीडैलिस के पौधे हिमालय में कुमाऊ से सिक्किम की पहाड़ी क्षेत्रों में 900 से 2700 मीटर की उचाई तक पाई जाती है। पूर्वी हिमालय के क्षेत्रों, नीलगिरि की पहाड़ियों और केरल में इसकी खेती कुछ जगहों पर की जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह लगभग 50 सेंटीमीटर उचाई वाली एक वर्षीय वनस्पति है। इसके प्रकंद सीधा, कोणीय और थोड़ा थोड़ा रोमिल होते है। इसकी ग्रंथिल एकान्तर पत्तियों के आकार अण्डाकार, अल्पवृन्तीय तथा भालाकार तिष्ण शीर्ष होते है। पत्तियों का किनारा हल्का दंतुर और सतह रोमिल होती है। इसके फूल शाखा के अन्तस्थ पर या पत्तियों के अक्ष पर (axis of the leaves) लगते है। फूलो का रंग हल्का पीला और नीला होता है। इसके फल छोटे दीर्घवृत्तीय अंडाकार या बर्तुल सम्पुटिका रूप में 15 से 20 मिलीमीटर लम्बे होते है। इसके बीजो का आकार गोलाकार या दीर्घ वृत्तीय रंग गहरे भूरे, लम्बाई लगभग 0.5मिलीमीटर होती है। इस वनस्पति का पौधा विन्यास भारतीय तम्बाकू नि. टैबैकम के समरूप होता है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे का पुष्पित शाखाग्र उपयोग किया जाता है। इसका संकलन पुष्पित अवस्था में बसंत ऋतु के आरंभ में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस पौधे के पुष्पित शाखाग्र से प्राप्त रसायनिक पदार्थ lobeline, lobelacrine, enzymes, inflatin, lobelic acid, एसेंसियल आयल,रेजिन आदि रसायनिक पदार्थ पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ शरीर पर वमनकारी (emetic) कफोत्सारक, एंटीस्पाज्मोडिक (antispasmodic), स्वेदकारी (diaphoretic), और पहले उत्तेजक और बाद में अवसादक (depressant or sedative) आदि क्रियाएं होती है। इसके अनुपान से मस्तिष्क के रोग दूर होते है। यह वमन, ज्वर, छाती के रोग, गुर्दो के रोग, पागलपन,आक्षेप, दमा मिर्गी, हिस्टीरिया, पाचन संस्थान के रोग आदि में यह लाभकारी है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति के टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), चूर्ण आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।