उत्तर प्रदेश का नंबर - 1, हिंदी हेल्थ चैनल

Breaking

Post Top Ad

सोमवार, 1 अप्रैल 2019

Galeopsis Ochroleuca Linnious - इसके रसायन कफोत्सारक, फेफड़े, आंत, स्प्लीन, और यकृत रोगो की चिकित्सा के लिए व्यवहार किया जाता है।

Pic credit - Google/https://en.wikipedia.org

पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Galeopsis Ochroleuca Linnious है।
Pic credit - Google/https://commons.wikimedia.org

विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - अंग्रेजी भाषा में इसका सामान्य नाम Hemp Nettle है। अन्य भारतीय भाषाओ में इसके नाम अनुपलब्ध है। "भारत की सम्पदा" नामक ग्रन्थ के तीसरे खण्ड के पृष्ठ 24 पर इस वनस्पति का उल्लेख किया गया है। यह वनौषधीय सिक्किम और हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी पत्तियों को हर्बा गेलेयोप्साइडिस (Herba Lleopsidis) कहा जाता है।
वंश - यद्यपि की यह लैमीएसी (Lamiaceae) कुल का सदस्य है। इस कुल में इस पौधे की लगभग 100 प्रजातियां पाई जाती है।
निवास - इस जाती के पौधे भूमध्य यूरोप और एशिया में पाए जाते है। यह योरप और पश्चिमी देशों में भी पाया जाता है। इसकी एक प्रजाती (Galeopsis Tetrahit Linnious) भारत में पायी जाती है। जो गुण, धर्म, और शारीरिक क्रियाओं में G.Ochroleuca Linnious  के सादृश्य है। इस औषधीय वनस्पति का भी अंग्रेजी भाषा में सामान्य नाम Common Hemp nettel या Bristelnettel है। इसके पौधे कश्मीर और सिक्किम में 3300 से 3600 मीटर की उचाई पर पाए जाते है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक ऊंचा रोमिल एक वर्ष जीवी औषधीय वनस्पति है। इसके मुख्य तना से निकलने वाली टहनियों के निचे की फूली हुई ग्रंथिया (Nodes) इसकी विशिष्ट पहचान है। इसकी पत्तिया अंडाकार, भालाकार, दंतुर, फूल सफ़ेद, पिले, नील - लोहित या चितकबरे, फल छोटे, नट, गोल, और दबे हुए होते है। यह सफ़ेद और पिले रंग की कई किस्मो में पाई जाती है। इसके पुष्प दलपुंज (Corolla) नलिकाकार होते है। जो बाह्य दलपुंजों (Calyx) से थोड़ा ही बड़ा या लम्बा होते है। यह वनस्पति ब्रिटिश आइलेस की बेकार भूमियो में बहुतायत में पायी जाती है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे की सुखी हुई पुष्पित शाखाएं, पत्तिया आदि व्यवहार की जाती है। इसक संकलन पौधा के पुष्पण काल जुलाई से सितम्बर माह में किया जाता है। "ग्लॉसरी ऑफ़ इंडियन मेडीसीनल प्लांट" नामक पुस्तक के अनुसार औषधीय के लिए सम्पूर्ण पौधा उपयोग किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वनस्पति से प्राप्त रसायनिक पदार्थ Silicic acid, Tannin, Enzymes, Saponin, Fatty acid, Wax, Resin, Essential oil, Bitter principales, Flavon, इसके फलो में 35% वसीय तेल, तथा राख में पोटैसियम की बहुलता पायी जाती है। इस वनस्पति से Galiridoside नामक एक नया Iridoid glucoside प्राप्त किया गया है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस प्लांट के एक्सट्रैक्ट बारे में कहा गया है की - इसके रसायन कफोत्सारक (Expectorant) होते है। इनका उपयोग तपेदिक (T.B.) के कष्टों में (In Physical Complaints), एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक, रिसोल्वेन्ट (Resolvent), डिटरजेंट (Ditergent) आदि कई रूपों में लाभ के लिए उपयोग किया जाता है। इस पौधे का इन्फ्यूजन फेफड़े के रोगो के लिए किया जाता है।
यूरोपीय देशों में स्थानीय लोगो द्वारा फेफड़े, आंत, स्प्लीन, और यकृत रोगो की चिकित्सा के लिए इसकी पत्तियों का फाँट (Decoction) व्यवहार किया जाता है। इसके रासायनिक पदार्थ जिसमे एंजाइम भी शामिल है एस्ट्रिंजेंट (Astringent) गुण, धर्म और क्रिया रखते है। इस संकोचन (Astringent) क्रिया के फलस्वरूप प्ल्यूरा (Plura) में तरल संचयन को इसके रसायन आसानी से दूर करते है। इसके रासायनिक पदार्थ  बेहतर कफोत्सारक  क्रिया वाले होते है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे की शाखाओं का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup), आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Shopping Festival

Best Festival Shopping Website.

Visit This Website