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पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Fucus Vesciculosus Linnious है।
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विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - अंग्रेजी भाषा में इसका सामान्य नाम Bladder wrack, Lady wrack, Bladder Fucus, Black tung, Sea ware, Blistered sea weed आदि कई भिन्न नामो से यह वनस्पति जानी जाती है।
वंश - यह एक प्रकार की समुद्री घास (Fucaceae) कुल का सदस्य है। इस कुल में इसकी कितनी प्रजातियां पाई जाती है यह निश्चित सुचना नहीं है।
निवास - यह समुद्री घास उत्तरी अटलांटिक महासागर के किनारे का मूल निवासी है। और हिन्द महासागर के मोनोरा के चट्टानों पर यह पाई जाती है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक समुद्री घास या मोथा है। इसका जातीय नाम fucus का तात्पर्य एक प्रकार की समुद्री शैवाल या सेवारी से है इसके सामान्य नाम Bladder wrack का शाब्दिक अर्थ कोई फूली हुई या खोखली वस्तु होती है। इसके सामान्य नाम Blister sea weed का भी अर्थ फूली हुई या थैलीनुमा समुद्री शैवाल ही होता है। इसके थैलस (Thallus) होते है। थैलस का तात्पर्य एक विशेष प्रकार की ऐसी वनस्पति से है जिसकी जड़, तना, या पत्तिया में कोई विभेद या अंतर स्पष्ट करना संभव न हो। इसकी उचाई लगभग 20 सेंटीमीटर तक होती है। थैलस के जिस स्थान पर इसकी डाली या शाखाएं निकलने वाली होती है वह स्थान थैली जैसी फूल जाती है। और वह नई शाखाएं निकल जाती है। इसके तना के अंडाकार थैली में हवा भरी रहती है। जिसके कारण यह समुद्र के जल सतह पर यह फूलता रहता है। थैलस के शीर्ष पर नलिकाकार जीवाणु (Spores) प्रजनन अंग के रूप में स्थित रहते है। जहा इसकी नई शाखाएं निकलती रहती है। इस समुद्री घास या मोथा पत्तिया, जड़, फूल, और फलो का पूर्णतः अभाव रहता है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस समुद्री शैवाल के थैलस उपयोग किया जाता है। इसका संकलन सभी ऋतुओ में किया जा सकता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस समुद्री शैवाल के थैलस में Algin, Alginic acid, Fucous, Bromine, Potasium, Enzymes, Mannito, Iodine आदि पाए जाते है। इसमें विटामिन सी भी पाई जाती है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इससे प्राप्त रसायनिक पदार्थ मोटापा कम करने का (To reduce obisety) विशेष गुण और स्वभाव रखते है। किसी भी तरह की बढ़ी हुई लस ग्रंथिया (Lymphatic nodes or glands) को सामान्य स्थिति में लाना इससे प्राप्त रसायनो का प्रमुख फिजियोलॉजिकल क्रिया (Physiological action) है। इसमें ग्लैन्डुलर रिजल्वेंट (Glandular resolvent) की अपूर्व क्षमता होती है। आयोडीन की अनुपस्थिति के कारण कंठमाला (Scrofula), घेघा (Goitre) आदि रोग को यह प्रमुखता से आरोग्य करते है। स्कर्वी नामक रोग की चिकित्सा के लिए इसका उपयोग सफलता पूर्वक किया जाता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इसके थैलस का क्वाथ (Decoction), टिंक्चर (Tincture), तरल सत्व (Fluide-xtract), सीरप (Syrup),चूर्ण, आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।
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