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सोमवार, 25 मार्च 2019

Euphrasia Officinalis Linnious - इसके रसायन सभी प्रकार के नेत्र रोगो को दूर करते है। ये शरीर के ग्रंथियों के श्राव को काम करते है। या हो रहे श्राव को तत्काल बंद (Astringent) करते है।

पौधे का वैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Euphrasia Officinalis Linnious है।
Pic credit - Google/https://commons.wikimedia.org

विभिन्न भाषाओ में पौधे का प्रचलित नाम - इस वनस्पति से प्राप्त औषधीय पदार्थो को अंग्रेजी भाषा में सामान्य नाम (Common Name) Drug Eyebright और पौधा को Eyebright कहा जाता है। अन्य भाषाओं में इसके प्रचलित नाम अनुपलब्ध है।
Pic credit - Google/https://commons.wikimedia.org

वंश - यह पौधा Scrophulariaceae कुल का औषधीय वनस्पति है। इस वंश में इसकी लगभग 200 प्रजातियां पाई जाती है।
निवास - यह वनस्पति ब्रिटेन का मूल निवासी है। यूरोप के आर्द्ध और ढलान वाली पहाड़ियों पर पाई जाती है। यद्द्पि की इसकी अन्य जातिया उत्तरी भूमध्य से मलेशिया के पहाड़ियों पर, न्यूजीलैंड और दक्षिणी अमेरिका में पायी जाती है। भारत में यह हिमालय के क्षेत्र कश्मिर से कुमाऊं तक 4000 से 13000 फिट की चढ़ाई तक पायी जाती है। सिक्किम में यह वनस्पति 10000 से 12000 फिट की ऊंचाई तक पाई जाती है। भारत में इसकी उपलब्धि के बावजूद भारतीय भाषाओ में इसके नाम अनुपलब्ध है।
वनस्पति विन्यास का वर्णन - यह एक वर्षीय औषधीय बूटी है। इसकी छोटी, लत्तरदार जड़े (Crceping roots are woody) काष्ठीय होती है। यह एक सीधा,क्षीण काय (Slender) बहुशाखीय तना वाला पौधा है। इसकी ऊंचाई लगभग 6 इंच होती है। यह एक परजीवी पौधा है। जो अपने आहार के लिए घास की जड़ों पर (Preying on grass root) आश्रित रहता है। इसकी वृन्त विहीन पत्तिया (Sessile Leaves), अण्डाकार (Oval) और दंतुर (Serrate) होती है। इसके फूल छोटे गुच्छो में लगते है, जिसका उद्दगम शीर्ष की सहपत्री (Bracts) पत्तिया होती है। इसकी सहपत्री (फूलो के निचे की छोटी पत्तिया) भी सामान्य पत्तियों के बराबर होती है। फूलो के बाह्य दल पुंज (Calyx) कैम्पानुलेट (Campanulate) और नलिकाकार (Tubular) होते है। इसकी पुष्प पंखुडिया ओष्ठाकार (Labiate) होती है, जिसका रंग उजला और शिराओ (Veining) और रंग बैगनी (Purple) होता है।सफ़ेद पंखुड़ियों के मध्य खंडो में पीला धब्बेदार चिन्ह (Yellow patch on the central lobe of the whitish corolla) होता है। फूल के पुमंग (Androecium) में चार अदद पुंकेशर होते है। जबकि जयांग (Gynaecium) में दो खंड होते है। जयांग के अग्र भाग (Stigma) के फूले हुए खंडो में (Bilobate) छोटी वृन्त (Style) अवस्थित होते है। इसके फल छोटे आयताकार (Oblong) सम्पुटिका (Like capsule) जैसे होते है। इसके फलो में खुरदुरे अण्डा की आकृत (Ovoid) के नुकीले बीज होते है।
औषधीय कार्यो के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्यो के लिए इस वनस्पति का पंचांग उपयोग किया जाता है। वनस्पति का संग्रहण काल ग्रीष्म ऋतू है। औषधीय उपयोग के पूर्व जमीं के ऊपर का भाग काट कर छाया में सूखा लिया जाता है, ताकि टिंक्चर में आर्धता का प्रतिशत काम हो जाए।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ में Essential oil, Bittcr principles, Glycosides, Enzymes, Rhynantine(यह एक एल्केलायड है) Tannin, Essence, Colurant, Salt, Resin,Aucubin, Caffeic acid, Ferulic acid, Stigmasterol and sitosterol पाए जाते है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थो के गुण धर्म एवं शारीरिक क्रियाएँ - इस पौधे से प्राप्त रसायनिक पदार्थ शरीर के लिए पौष्टिक होते है। वे पाचन क्रिया को बढ़ाते है। इसके रसायन सभी प्रकार के नेत्र रोगो को दूर करते है। ये शरीर के ग्रंथियों के श्राव को काम करते है। या हो रहे श्राव को तत्काल बंद (Astringent) करते है। त्वचा को मुलायम करने वाले रसायनिक पदार्थ  पंचांग में उपलब्ध रहते है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - औषधीय कार्यो के लिए इस पौधे की पंचाग का इन्फ्युजन, चूर्ण, लोशन, टिंक्चर, आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है।  

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