पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Artemisia Abrotanum Linnious है
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विभिन्न भाषाओ में इस वनस्पति का प्रचलित नाम - इस को हिंदी भाषा में नागदौन, दवना और बगला में नागदमना, मराठी में नागदमनी, गुजराती में झिपटो, कन्नड़ में नागदमनी, तेलगु में ईश्वरिचेट्टदरणम, तमिल में माचीपत्री,कहते है।
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वंश - वनौषधि चन्द्रोदय, भारत की सम्पदा भाग एक पृष्ठ 82 व् 83 में दी मैकडोनाल्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ मेडिसिनल प्लांट्स पृष्ठ 41 ,ए डिक्सनरी ऑफ़ प्लांट्स यूज्ड वाई मैन, पृष्ठ 60 पर इसको Compositace परिवार का सदस्य बताया गया है। परन्तु वर्तमान दशक 1991 में भारत सरकार नै दिल्ली (प्रकाशन एवं सूचना निदेशालय ) द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ Compedium of Indian Medicinal Plants के खण्ड एक पृष्ठ 45 तथा खंड दो पृष्ठ 72 पर इस पौधे को एस्टोरैंसी (Asteraceae) वंश का सदस्य बताया गया है।
निवासी - यह वनस्पति उत्तरी गोलार्द्ध का मूल निवासी है यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी भागो में, एशिया के स्टेपीज के शुष्क क्षेत्रों में बहुतायत पाया जाता है। इस वनस्पति की लगभग 34 जातिया उत्तर पश्चिमी हिमालय के शीतोष्ण क्षेत्रों में पायी जाती है।
पौधा का वर्णन - यह एक लतरदार जड़ वाली काष्ठीय बूटी है। इसकी शाखाएं अनियमित होती है इसका तना कोमल रुआ से ढका होता है अनियमित और बहुशाखित होने के कारण इसके पौधे झाड़ीनुमा दिखाई पड़ते है। इसकी परिपक्व पत्तिया चाँदी जैसी उजली होती है। इसकी पत्तिया संकुचित गोल खण्ड जैसी द्रीपरदार होती है। पौधे के शीर्ष पर पिले रंग के फूल बहुतायत सजे रहते है। इसकी अर्धगोलाकार सहपत्रिया भीतर की ओर मुद कर भालाकार आकृत बनाती है। इसके फल में एक ही बीज होता है।
औषधीय कार्य के लिए वनस्पति का उपयोगित भाग - औषधीय कार्य के लिए पौधा का ऊपरी पुष्पित भाग व्यवहार किये जाते है। इसका संकलन ग्रीष्म ऋतू में किया जाता है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - इस वनस्पति से इत्र ( Essence ), Abrotanin,Tannin, और Enzymes पाए जाते है।
रासायनिक पदार्थो के गुड़, धर्म और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाएं - इस पौधे से प्राप्त रासायनिक पदार्थ आंत की क्रिया को गति देने वाले पित्त प्रवाह को बढ़ाने वाले और मासिक श्राव को नियमित करने वाले प्रभाव रखते है।
इसके रसायन आमाशय और यकृत सहित डिंबग्रंथि व् नारी जननांगो के हार्मोन को भी नियंत्रित करती है। इसके रसायन कटे या खुले हुवे घावों के रक्त श्राव क बंद करने में भी किया जाता है। यह कृमि नाशक भी होता है।
पौधे के व्यवहार का प्रचलित स्वरुप - इस पौधे के पुष्पित शाखाये का Infusion,चूर्ण, टिंक्चर शिरप एवं ताजा रस एवं आसवन जल के रूप में तैयार किया जाता है।
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