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रविवार, 5 अगस्त 2018

हंसराज (Adiantum Capillus Veneris Linnious) - यह वनस्पति मनुष्य के फेफड़ो और महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

पौधे का बैज्ञानिक या औषधीय नाम - इस पौधे का बैज्ञानिक नाम Adiantum Capillus Veneris Linnious है।

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विभिन्न भाषाओ में इस वनस्पति का प्रचलित नाम - हिंदी में इसे हंसराज या  मुवारक कहते है तथा काश्मीरी मे इसे दमतुली और अरबी में इसे शेरुलाजिन कहते है।

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वंश - भारत की सम्पदा भाग 1 पृष्ठ 217 और मैकडोनाल्ड इन साइक्लोपिडिया ऑफ़ मेडीसीनल प्लांट्स पृष्ठ 8 के अनुसार यह वनस्पति Polypodiaceae वंश की बूटी है। परन्तु A Dictionary of Plants Used by Man George Usher तथा Compendium of Indian medicinal Plants खंड 2 पृष्ठ 15 के अनुसार यह Adiantaceae कुल की बूटी है। भारत की सम्पदा नामक ग्रन्थ में इसकी जातियों की संख्या 190 बताई गई है। जबकि जार्ज ऊशर ने इसकी जातियों की संख्या 120 बताई है।
पौधे का वर्णन  -  यह करीब 120 प्रकार की प्रजातियों में पाई जाती है यह उष्ण कटीबन्धीय क्षेत्र में पाई जाती है पश्चिम और दक्षिण यूरोप सहित पुरे ऐशिया के साथ इंगलैंड और अमेरिका सहित पुरे भारत में भी पाई जाती है। यह झरनों,तालाबों और जलाशयो के किनारे तथा चट्टानों में पाये जाते है। इसको बगीचों और पौधा घरो में भी लगाया जाता है। इस पौधे में फूलो का कही पर भी कोई वर्णन नहीं मिलता है शायद इसमें फूलो का अभाव होता है। इसकी पतली त्रिभुजाकार आयात पत्तियों के किनारे बीजाणुधानियाँ होती है इसी से इसके नये पौधे उगते है।

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औषधि कार्य के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधि कार्य के लिए इस पौधे का सम्पूर्ण भाग इस्तेमाल किया जाता है। और इस पौधे को संग्रहण के लिए जून और जुलाई उपयुक्त समय माना गया है।
पौधे से प्राप्त रासायनिक यौगिक - 16 Hentri -acontanon,hentia-contane, adiantone isoadiuntone और बीटा Sitos-terol सहित Gallic Acid, Tannic Acid,Essential oil, Gum, Terpens और बहुत सारे एंजाइम भी पाए जाते है।
इस पौधे से मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाएं - इस पौधे के रासायनिक पदार्थ खांसी में लाभदायक होते है (Antitussive),और ये फेफड़ो,वायुनलियों आदि स्थानों से खाँसी के माध्यम से बलगम (Expectorant) निकालने वाले होते है।  और (Galacto gogic) दूध पिलाने वाली महिलाओ के दूध प्रवाह हो बढ़ने वाले गुण रखते है। बालो के निचे जमी रुसी (Antidandruff) को इसके टिंक्चर दूर करते है।
शराब सेवन के कारण होने वाली यकृत की खराबी को भी दूर करता है। इसकी कुछ जातियों की जड़ को गर्भस्राव के लिए भी इस्तेमाल में लाई जाती है। हाल ही किये गए अध्यन में पता चला है की यह कील मुहासों में भी बहुत कारगर है।
पौधे के व्यवहार के स्वरुप - इस पौधे का इस्तेमाल Infusion इन्फ्यूजन ,और Decoction काढ़ा और Syrup सिरप ,Fluid extract तरल अर्क, के रूप में किया जाता है। इसके काढ़ा (चाय की तरह बनाने पर )का स्वाद मधुर, सुगन्धित और शान्तिदायक होते है। इसमें उपस्थित बावेरियन (Bavarian) नामक रसायन के कारण होता है जो सामान्य चाय में भी पाया जाता है।

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