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बुधवार, 15 अगस्त 2018

Caulophylium Thalictroides Michx - इस पौधे से प्राप्त रसायन मिर्गी रोग, चर्म रोग और गलगण्ड (Enlargment of gland), दाँत दर्द, रजःश्राव, को आरोग्य करते है।

पौधे का बैज्ञानिक नाम - इस पौधा का वैज्ञानिक नाम या औषधीय नाम - Caulophylium Thalictroides Michx है।
Pic credit - Google/https://commons.wikimedia.org

वनस्पति का विभिन्न भाषाओ में प्रचलित नाम - इसको संस्कृत में अपामार्गा, खर मंजरी, मयूरक और हिंदी भाषा में चिरचिरा, लटजीरा, ओंगा, गुजराती में अधैढ़ो, मराठी में अधढा, बंगला में आपांग, मारवाड़ी में औधी झाड़ी, सिंधी में मर्जीका, कर्नाटकी में उत्तरेणी, तेलगु में दुच्चेणीको, उत्तरेम, तमिल में नायूरीबी, कन्नड़ में उत्तरणी,  मलयालम में कटलाटी, और अंग्रेजी में Pricky chaff flower, कहते है।
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वंश - यह Amaranathaceae वंश का पौधा है। इस वंश में इसकी करीब 100 प्रजातियां पायी जाती है।
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निवास - यह उत्तरी अमेरिका का आदिवासी पौधा है। यह भारत में नहीं पाया जाता इसका प्रतिनिधि पौधा Achyranthes Aspera Linnious जो भारतीय मूल का आदिवासी औषधीय वनस्पति है।

पौधा विन्यास का वर्णन - अपामार्गा क्षुपजातीय झाड़ीनुमा एक वनौषधीय वनस्पति है। प्रायः यह ऊंची भूमि में ही पैदा होती है वर्षा ऋतू के प्रथम बारिष में ही इसके बीज अंकुरित होते है वर्षा ऋतू के अंत तक इसके पौधे की वृद्धि होती है। शीत ऋतू में पुष्प और फल लगते है ग्रीष्म ऋतू की गर्मी में बीजो के परिपक्व होने पर फलो के साथ पौधे भी सुख जाते है। यह एक वर्षीय पौधा है। इसकी लम्बाई 18 इंच से लेकर 40 इंच तक होती है। इसकी पत्तिया सवृन्त होती है पत्तिया हलके लहरदार चिन्हो से चिन्हित एवं सुशोभित रहती है। पत्तियों में अत्तयंत छोटे उजले रंग के रोम होते है। लाल अपामार्ग की पत्तियों में लाल बिंदु की तरह चिन्ह होते है। इसकी शाखाये चपटी और चतुष्कोणीय होती है। सफ़ेद अपामार्ग की शाखाएं हरी और लाल अपामार्ग की शाखाएं लाल होती है। शेष पौधा अंश या अंग तथा रासायनिक पदार्थ एक जैसे होते है। इसके फूल छोटे छोटे लाल तथा बैगनी रंग मिश्रित मयूर के कष्ठ की तरह दिखाई पड़ती है। इसकी पत्तिया लम्बाई लिए हुए कुछ गोल और नोकदार होती है इसकी मंजरिया पत्तियों के बिच से स्पाईको में निकलती है। इन मजरीयो में फूलो के बाद छोटे बीज कांटेदार होते है।
औषधीय कार्य के लिए पौधे का उपयोगित भाग - औषधीय कार्य के लिए इस पौधे की जड़, पत्तिया और मंजरिया प्रयोग की जाती है इसका संग्रह बसंत ऋतू के अंत में किया जाता है।

पौधा से प्राप्त रासायनिक पदार्थ - इस पौधे में Calcium, Ferrum, Alkaloids, Potassium,Miniral Salts, Sulphur, Alkaloids, आदि पाए जाते है।

रासायनिक पदार्थो के गुण, धर्म और मानव शरीर को प्रभावित करने वाली क्रियाये - इस पौधे से प्राप्त रसायन मिर्गी रोग, चर्म रोग और गलगण्ड (Enlargment of gland), सुखी खाँसी, दाँत दर्द, Inflammation, Dropsy, Dysentery, रजःश्राव, को आरोग्य करते है। कुत्ता, सांप, बिच्छू, के विष को कम करता है।    


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